अयोध्या कोशलपुरी, दशरथतनयालयः।
रामजन्मभूमिः पुण्या, सर्वपापहरिणी तीर्थम्॥
अर्थ: अयोध्या कोशल की राजधानी है, दशरथ का निवास स्थान है, राम का जन्मस्थान है, और यह एक पवित्र तीर्थ है जो सभी पापों को दूर करता है।
क्या आपको पता है कि अयोध्या उन सात मुख्य स्थानों में से एक है, जिनको हिंदू धर्म में सप्त पुरी के नाम से जाना जाता है?
अयोध्या के अलावा इनमें हरिद्वार, मथुरा, कांचीपुरम, द्वारका, उज्जैन, और बनारस हैं। अयोध्या को भगवान राम की नगरी के रूप में जाना जाता है। यह वही स्थान है जहाँ भगवान विष्णु के अवतार के रूप में प्रभु श्री राम चंद्र जी में त्रेता युग में जन्म लिया।
अयोध्या के निकट लखनऊ का निवासी होने के कारण बचपन से हम रामायण के माध्यम से अयोध्या और भगवान राम के जीवन काल का वर्णन सुनते आ रहे है। इसके अलावा हर साल दशहरे के आसपास रामलीला के मंचन का साक्षी बनते आ रहे हैं।
ये लेख लिखते वक्त मेरे अंदर स्वयं इतने विचार और भावनायें उत्पन्न हो रही है जो शब्दों में बता पाना बेहद कठिन है। मुझे हाल में ही अयोध्या घूमने का सौभाग्य प्राप्त हुआ; और इस लेख के माध्यम से मैं आपको उन सभी जगहों पर ले चलूँगा जहां मैंने घूमा।
अयोध्या भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिससे आपके लिए यहाँ पहुंचना काफी आसान है। यहाँ तक पहुँचने के कई रास्ते हैं, जिनमे कुछ आम विकल्पों में शामिल हैं:
अयोध्या का निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (अमौसी एयरपोर्ट) है,जो अयोध्या से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा एक अन्य विकल्प वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो जो अयोध्या से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। दोनों हवाई अड्डों से, आप अयोध्या पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बस ले सकते हैं।
इसके अलावा 30 दिसंबर 2023 को अयोध्या हवाई अड्डे का उद्घाटन होगा जिसने सबसे पहले दिल्ली और अहमदाबाद के लिये उड़ाने चलेगी।
नीचे के फोटो से आप फ़्लाइट का पता लगा सकते हैं। पर ध्यान रहे इसमें बदलाव हो सकते है, इसलिए अपनी यात्रा के दौरान चेक करना बिलकुल ना भूलें।
स्मार्ट सुझाव: अयोध्या की फ्लाइट देखें
अयोध्या रेल मार्ग द्वारा दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर जैसे प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है। अयोध्या में कुल दो रेलवे स्टेशन है: अयोध्या जंक्शन ( AY), और अयोध्या कैंट (AYC)। आप अपने निकटतम रेलवे स्टेशन से या ऑनलाइन भारतीय रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से अयोध्या के लिए टिकट बुक कर सकते हैं।
यदि आप सड़क यात्रा पसंद करते हैं, तो अयोध्या सड़कों द्वारा पहुंचा जा सकता है। आप लखनऊ, आगरा, दिल्ली, गोरखपुर, वाराणसी और अन्य स्थानों जैसे नजदीकी शहरों से अयोध्या तक ड्राइव कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) और निजी बस ऑपरेटर उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के विभिन्न शहरों से अयोध्या के लिए नियमित बस सेवा चलाते हैं।आप अपनी सुविधा के आधार पर राज्य संचालित बसों या निजी बस ऑपरेटरों में से चुन सकते हैं।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सन् 2019 को अयोध्या के ऊपर राम मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक फ़ैसला दिया। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
ये पोस्ट लिखे जाने तक राम मंदिर का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है। इसके उद्घाटन का दिन 22 जनवरी 2024 रखा है जो यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी द्वारा होना निर्धारित है। इसके साथ ही आम लोगों के लिए मंदिर का प्रवेश खोल दिया जाएगा।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या धाम शहर के राम पथ पर स्थित है। इस मार्ग पर किसी भी सार्वजनिक या निजी वाहन की अनुमति नहीं है, इसलिए आपको वाहन आगे पार्क करना होगा और पैदल चलना होगा।
आपको अपना फोन मंदिर के अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए आप इसे अपने वाहन में भी छोड़ सकते हैं या मंदिर परिसर के अंदर उपलब्ध लॉकर में जमा कर सकते हैं।
आप यहां बाहर से राम मंदिर की झलक देख सकते हैं और तस्वीरें ले सकते हैं, इससे आपको संतुष्टि मिल सकती है।
बैरिकेडिंग पार करते हुए हम धीरे-धीरे रामलला के दरबार तक पहुंच गए। मुझे नहीं पता कि यह कैसे हुआ, लेकिन दर्शन के बाद मुझे कुछ अजीब भावनाएं महसूस हुईं और मेरी आंखों में आंसू आ गए।
एक बार जब आप मंदिर के अंदर श्री राम की मूर्ति देखेंगे, तो आप उनकी ओर आकर्षित हो जायेंगे। आप भगवान राम, उनकी महिमा और उनकी कोमल मुस्कान के अलावा कुछ भी नहीं देखना चाहेंगे। और ये बात बिल्कुल ना भूलें कि उन्होंने हमें मूल्यों और सिद्धांतों के साथ जीवन जीना कैसे सिखाया है।
खुलने का समय: प्रातः 7 बजे से शाम 11 बजे तक, और दोपहर 2 बजे से शाम 6 तक ।
हनुमान गढ़ी अयोध्या में घूमने की जगहों में प्रमुख है। मैं और मेरा साथी विपिन पदयात्रा करते हुए मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुँचे जहां आपको ढेर सारी सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है। असल में इस मंदिर के ऊँचाईं पर स्थित होने और इसके स्थापना के पीछे एक कारण है।
भगवान राम सरयू में जलसमाधि लेने से पहले हनुमान जी को बुलाते है और शहर की देखभाल का जिम्मा सौपते हैं। तो हनुमान जी एक ऊँचे स्थान पर बैठकर राम जी की आज्ञा का पालन करने लगे और इसी जगह पर आज ये मंदिर स्थित है।
मंदिर के अंदर पहुँचते ही मुझे श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी जो प्रसाद चढ़ाने को आतुर थे। किसी तरह प्रसाद चढ़ा के मैं आसपास घूमने लगा। विभिन्न रंगो, और चित्रकला से रंगा ये मंदिर, और मंत्रों का जाप मेरे अंदर उत्सुकता और भक्ति का संचार कर रहा था। आपको बताते चले कि मंगलवार और शनिवार को यहाँ ज़्यादा भीड़ होती है, तो हिसाब से प्लान करें।
खुलने का समय: प्रातः 10 बजे से रात्रि 10 बजे तक।
ऐसा माना जाता है कि यही वह स्थान था, जहां भगवान श्री राम के पिता, महाराज दशरथ का राजमहल हुआ करता था। हम जब यहाँ पहुचें तो आरती शुरू होने वाली थी। आरती के दौरान मन्त्रों का उच्चारण और घंटियों की आवाज़ वातावरण को भक्तिमय कर रहे थे।
लोग इसे बड़ा स्थान और बड़ी जगह के नाम से भी पुकारते हैं। इस भवन का प्रवेश द्वार सुंदर चित्रों से सुसज्जित है। अंदर जाने पर प्राचीन मूर्तियों और कलाकृतियों का दर्शन होता है। भवन के एक भाग में महाराज दशरथ, माता कौशल्या और भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
दशरथ भवन भगवान राम के जीवन से जुड़ी दिव्य स्मृतियों में लीन होने के लिए एक आदर्श स्थान है। यह ऐतिहासिक स्थल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।
परिसर घूमते समय मैं श्री राम की विरासत के वैभव की स्पष्ट रूप से कल्पना कर सकता था। यह आपके दिल को शांति से भर देगा और आपको उन आदर्शों के करीब लाता है जिनका प्रतिनिधित्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम करते हैं। यह स्थान आपको भगवान राम के पूर्वजों और प्रारंभिक इतिहास के इतने निकट होने पर शांति और आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति देता है।
जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह भवन सोने की चमक से कम नहीं, भव्यता और इतिहास समेटे हुए है। कहते हैं कि त्रेता युग में, माता कैकेयी ने सीता माता को विवाह उपहार के रूप में यह भवन दिया था।
असंख्य रत्नों से जड़ित, यह भवन राम और सीता के प्रेम का साक्षी रहा होगा। हालांकि, समय के थपेड़ों ने इसे नष्ट कर दिया, लेकिन भक्तों के अथक प्रयासों से इसका पुनर्निर्माण हुआ।
यहां आकर, आप न केवल भव्य वास्तुकला का आनंद ले सकते हैं, बल्कि राम और सीता के प्रेम की पवित्रता का अनुभव भी कर सकते हैं।
आज, कनक भवन राजस्थान और बुंदेलखंड की शिल्पकला का संगम है। सफेद संगमरमर से निर्मित, यह भवन अपने सुंदर मेहराबों, नक्काशीदार खंभों और मनमोहक छतों से आपको मंत्रमुग्ध कर देता है।
खुलने का समय:
कैसा हो अगर आप यात्रा की शुरुआत सरयू स्नान से करें?
अगर आपको सही मायनों में अपने अयोध्या यात्रा की शुरुआत करनी है तो, राम की पैड़ी के पास नया घाट उपयुक्त स्थान है। मैं सबसे पहले यहाँ आकर, सरयू के पवित्र जल में स्नान किया।
आप यहाँ आसपास कई भक्तों को स्नान करते हुए पायेंगे। और हाँ तस्वीर खींचने के शौक़ीनों के लिए भी यह एक आदर्श स्थान है। यह देखिए यहाँ का एक मनोरम दृश्य:
इसके अलावा आप यहाँ गुप्तार घाट (जहां राम जी ने जलसमधि ली), और लक्ष्मण घाट आदि भी घूम सकते हैं। वैसे अगर शाम में यहाँ रुकना हो तो सरयू आरती में शामिल ज़रूर हों।
सरयू स्नान के बाद मेरा पहला पड़ाव नागेश्वर नाथ मंदिर था जो अपने शांत और आध्यात्मिक वातावरण के लिए जाना जाता है।
कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में श्री राम के पुत्र कुश द्वारा करवाया गया था। मान्यता के अनुसार, एक बार स्नान करते समय कुश ने अपना कवच खो दिया था, जो एक नाग-कन्या ने पाकर उसे वापस कर दिया। कुश ने उस नाग-कन्या से विवाह किया और उसी स्थान पर भगवान शिव का यह मंदिर बनवाया।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का एक मनमोहक स्वरूप विराजमान है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां भव्य मेला लगता है, जिसमें देश भर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर को जीर्णोद्धार की ज़रूरत है।
खुलने का समय: प्रातः 9 बजे से शाम 6 बजे तक।
अगर आप इस प्राचीन शहर के बारे में विस्तार में जानकारी की इच्छा रखते हैं, तो अयोध्या शोध संस्थान अपना मुख्य गंतव्य होगा।
अयोध्या शोध संस्थान, उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अंतर्गत आता है जिसका उद्देश्य है:
आप यहाँ तरह तरह के चित्रकला, मूर्तिकला, डॉक्यूमेंट्स, मुखौटे आदि देख सकते हैं।
अयोध्या खाने के शौकीनों के लिए स्वर्ग है। असल में किसी शहर के व्यंजनों की खोज करना किसी भी यात्रा का एक अभिन्न अंग है, और अयोध्या निराश नहीं करती है।
हालाँकि अयोध्या में बहुत बड़े रेस्टॉरेंट्स नहीं हैं, पर यहाँ के स्ट्रीट फ़ूड आपके मुँह में पानी लाने के लिए काफी हैं।
इसके अलावा आप कचौड़ी, लस्सी, छोले भठूरे, और शुद्ध शाकाहारी थाली का जायका ले सकते हैं।
अयोध्या पुण्यभूमिः, भक्तिसागरनिर्मिता।
दर्शनं दर्शनानन्दं, मोक्षदायकं च ददाति॥
अर्थ: अयोध्या पवित्र भूमि है, भक्ति के सागर से निर्मित है। दर्शन करने से आनंद मिलता है और मोक्ष भी मिलता है।
अयोध्या अपने जीवंत बाजारों और धार्मिक हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध शहर है। आपको घर ले जाने के लिए विभिन्न प्रकार की स्मृति चिन्ह मिलेंगे।
यहाँ आप भगवान राम से संबंधित धार्मिक कलाकृतियाँ, मंदिर और पूजा स्थलों के सामान, आयुर्वेदिक उत्पाद, हस्तशिल्प और धार्मिक पुस्तकें शामिल हैं। आप रुद्राक्ष की माला, प्रार्थना माला, और फोटोग्राफिक स्मृति चिन्ह भी पा सकते हैं।
हनुमानगढ़ी, कनक भवन, और बाक़ी धार्मिक स्थापनाएँ आसपास स्मृति चिह्नों की शॉपिंग कर सकते हैं।
सस्ते धर्मशाला से लेकर महंगे 3 सितारा होटल तक के विकल्प यहां मौजूद हैं। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार होटल का चयन कर सकते हैं।
जट फ्रेंडली विकल्प में कई होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशाला हैं जहां ₹500 से ₹1000 तक कमरे उपलब्ध हैं। वहीं अच्छे आवास के रूप में रामायण होटल, कोहिनूर पैलेस, ताराजी रिसोर्ट होटल, रॉयल हेरिटेज होटल आदि उपलब्ध हैं।
स्मार्ट सुझाव: अयोध्या में होटल बुक करें।
अयोध्या की अपनी यात्रा का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए, निम्नलिखित सुझावों पर विचार करें:
अयोध्या में सभी मुख्य स्थान आप या तो पैदल ही घूम सकते है, या टैक्सी/कैब/ऑटो बुक कर सकते हैं। इनमे श्री राम जन्मभूमि, हनुमानगढ़ी मंदिर, कनक भवन, राम की पैड़ी, और नागेश्वर नाथ मंदिर शामिल है।
नया राम मंदिर भी श्री राम जन्मभूमि के निकट बन रहा है। इसके अलावा बाकि स्थानों के लिए आपको टैक्सी बुक करना पड़ेगा, क्योंकि ये शहर के बाहर स्थित हैं।
अयोध्या घूमने का सही समय अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों के महीनों के दौरान है। इस अवधि के दौरान, ठंडे तापमान के साथ मौसम सुहावना होता है, जो इसे दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए उपयुक्त बनाता है।
इसके अलावा यदि आप शहर का भरपूर आनंद लेना चाहते है तो अक्टूबर-नवंबर में आएं। इस समय दीपोत्सव का आयोजन होता है, जब सारे शहर के साथ-साथ घाटों पर लाखों दीये जलाये जाते हैं। रामलीला एक अन्य धार्मिक आयोजन है, जो इसी समय होता है। इसमें प्रभु राम के जीवन का चित्रण किया जाता है।
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप अयोध्या में क्या देखना और करना चाहते हैं। यदि आप केवल मुख्य मंदिरों पर जाना चाहते हैं, तो 1 दिन पर्याप्त होगा।
यहां आकर भक्त श्री राम के जीवन से जुड़ी पवित्र स्मृतियों में खो जाते हैं। दशरथ भवन न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था का केंद्र भी है।
यदि आप शहर को अच्छे से घूमना चाहते हैं, और स्थानीय संस्कृति का अनुभव करना चाहते हैं, तो आप 2-3 दिनों के लिए ठहरने की योजना बना सकते हैं।
सभी के लिए बजट अलग-अलग हो सकता है। यह प्रायः इस बात पर निर्भर करता है कि आप कौन सा होटल लेते है, क्या खाते-पीते है और क्या खरीददारी करते हैं। फिर भी एक सामान्य बजट निम्नवत है:
अयोध्या घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान मौसम सुहावना होता है और दर्शन में भीड़ कम होती है। हालांकि, राम नवमी, दशहरा , दिवाली और महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान भारी भीड़ हो सकती है।
श्रीराम जन्मभूमि के गर्भगृह में दर्शन के लिए आम तौर पर 15-20 मिनट का समय लगता है। हालांकि, भीड़ के आधार पर यह समय कम या ज्यादा हो सकता है।
नहीं, राम जन्मभूमि के गर्भगृह में कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं है। परिसर से कुछ दूर पहले आपको अपना फ़ोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक चीज़ें लॉकर में जमा करना होता है।
अयोध्या में विभिन्न बजटों के लिए कई तरह के होटल और गेस्टहाउस उपलब्ध हैं। आप राम जन्मभूमि के आसपास या शहर के केंद्र में ठहरने का विकल्प चुन सकते हैं। धर्मशालाएं भी उपलब्ध हैं, जहाँ कम लागत में ठहरने की व्यवस्था है।
राम मंदिर के अलावा, अयोध्या में घूमने की जगह बहुत सी हैं, जिनमें शामिल हैं: हनुमान गढ़ी कनक भवन, नागेश्वर नाथ मंदिर, राम की पैड़ी, गुप्तार घाट, अयोध्या शोध संस्थान आदि।
अयोध्या आमतौर पर पर्यटकों के लिए सुरक्षित है। हालाँकि, आपको सामान्य सुरक्षा सावधानियाँ बरतनी चाहिए, जैसे कि अपने आस-पास के इलाके और चीज़ों के बारे में जागरूक रहना।
राम मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। 22 जनवरी 2024 को इसका उद्घाटन संभावित है जिसके बाद इसको आम लोगो के लिए खोल दिया जाएगा।
भले ही आप किसी भी धर्म या संप्रदाय से हों, पर जब बात अयोध्या या भगवान राम की आती है तो सबके अंदर एक अद्भुत भाव उत्पन्न हो जाता है। भगवान राम के जीवन से हमें त्याग, संयम, धर्म, नैतिकता, प्रेम, क्षमा, दया, परोपकार आदि तमाम सीख मिलती है। यूं ही नहीं उनको मर्यादा पुरुषोत्तम से संबोधित किया जाता है।
अतः हमे भी इन सभी गुणों को अपने अंदर बनाने का प्रयत्न करना चाहिए ताकि हम एक एक व्यक्ति बन सकते और समाज के प्रति अपना योगदान दे सकें।
तो यह हमारा अयोध्या में घूमने की जगह पर यात्रा गाइड था। उम्मीद है इसमें अयोध्या से जुड़ी हर एक छोटी से छोटी जानकारी को साझा करने में सफल रहे हैं।
फिर भी यदि आपके कोई सुझाव या सवाल हैं, तो आप बेझिझक नीचे कमेंट बॉक्स में अपने विचार व्यक्त करें। हम आपके सुझावों से खुद को और बेहतर बनाने का प्रयत्न करेंगे।
एक अपील: कृपया कूड़े को इधर-उधर न फेंके। डस्टबिन का उपयोग करें और यदि आपको डस्टबिन नहीं मिल रहा है, तो कचरे को अपने साथ ले जाएं और जहां कूड़ेदान दिखाई दे, वहां फेंक दें। आपकी छोटी सी पहल भारत और दुनिया को स्वच्छ और हरा-भरा बना सकता है।
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