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कूर्ग – कर्नाटक की गोद में बसा मनोरम हिल स्टेशन

मनमोहक घाटियां, ऊंची ऊंची चोटियां, कल – कल करती नदियां और गगन से बरसता अमृत अर्थात बारिश! इन सब आभूषणों से अलंकृत है कर्नाटक में बसा छोटा सा हिल स्टेशन – कूर्ग। यूं ही नहीं इसे दक्षिण भारत का कश्मीर कहा जाता है। कहिये कुछ भी, पर कूर्ग ने पर्यटन के क्षेत्र में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है।

हमने जब कूर्ग जाने का विचार बनाया तो मन में एक उत्सुकता थी क्योंकि चित्रों ने पहले ही हमारे ऊपर जादू कर रखा था। इस स्थान की हरियाली के चर्चे पूरे देश भर में को जाती है। इसलिए अगर आप प्रकृति प्रेमी है तो यह जगह आपको तनिक भी निराश नहीं करेगा।

इस लेख में हम कर्नाटक के कूर्ग के बारे सब बताएँगे कि क्या करें, कहाँ घूमें, कहाँ रुकें, क्या खाएं इत्यादि।


सूचना: इस पोस्ट में कुछ लिंक हो सकते हैं। जब आप उनके माध्यम से कुछ खरीदते हैं या कोई बुकिंग करते हैं तो हमें वित्तीय सहायता मिलती हैं। वे किसी भी तरह से हमारी राय या यहां प्रस्तुत जानकारी को प्रभावित नहीं करते हैं।


कूर्ग के प्रमुख पर्यटन स्थल

कूर्ग या कोडागु एक छोटा सा जिला है जिसका मुख्यालय मदिकेरी है। 80% पर्यटन स्थल मदिकेरी में है और 20% कुशलनगर में। चूँकि हम कुशलनगर में थे, हमारा पहला पड़ाव नामड्रोलिंग मथ, बायालकुप्पे था।

नामद्रोलिंग मठ, बयालकुप्पे

बयालकुप्पे को दक्षिण भारत का तिब्बत भी कहा जाता है। उत्तर भारत में धर्मशाला और दक्षिण भारत में बायालकुप्पे में तिब्बतियों की मुख्य बस्तियां है। देश के अलग-अलग हिस्से से बौद्ध अनुयायी यहां धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते है। यहां का शांतिमय और आध्यात्मिक वातावरण ने हमारी यात्रा की शुरुआत के लिए संजीवनी का काम किया। 

नामद्रोलिंग मठ का मुख्य भवन
नामद्रोलिंग मठ के अंदर का दृश्य

जैसे ही आप मुख्य मंदिर में प्रवेश करते हैं, आपको भगवान बुद्ध की आलीशान प्रतिमा सुसज्जित हुई दिखाई देती है। दर्शन के पश्चात् कुछ देर वहीं बैठना उचित रहता है। हो सकता है कि एक अद्भुत सी शांति का अनुभव हो। काफी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं। एक बौद्ध अनुयायी से हमने उनकी दैनिक दिनचर्या के बारे में पूछा तो उन्होंने बड़ी विनम्रता से हमे सारी चीज़े बताई।

निसर्गधाम

निसर्गधाम एक लुभावना और सुंदर द्वीप है जो कुशलनगर शहर से 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यह शानदार द्वीप 64 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। वन विभाग द्वारा 1989 में एक पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित, सुरम्य पिकनिक स्थल सुंदर बांस के पेड़ों के झुरमुटों के साथ घने बांस के पेड़ों और चंदन के सुन्दर पत्थरों से सुशोभित है।

निसर्गधाम का एक द्वार

यह कहना किसी भी तरह से अतिश्योक्ति नहीं होगी कि निसर्गधाम वास्तव में सभी प्रकृति प्रेमियों के लिए पृथ्वी पर एक स्वर्ग है। वास्तव में, निसर्गधाम पर्यटकों और आगंतुकों के लिए एक आदर्श स्थान है, जो अपने प्रियजनों के साथ प्रकृति की गोद में शांति से कुछ पल बिताना चाहते हैं। 

इसकी प्राकृतिक सुंदरता इसे कूर्ग की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक बनाती है और यह एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है, न केवल कूर्ग के लोगों के लिए, बल्कि पूरे देश के पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी।

कोडवा संस्कृति की झलक

द्वीप पर एक रस्सी के पुल के माध्यम से पहुँचा जा सकता है। हिरण, खरगोश और मोर सहित जानवरों का एक झुंड प्राचीन परिवेश में यहाँ रहता है। इसके अलावा, जगह में एक छोटा स्नैक हाउस और एक हिरण पार्क भी है।

पर्यटकों को नदी के किनारे कुछ उथले और सुरक्षित स्थानों पर पानी में उतरने की अनुमति है। हाथी की सवारी और नौका विहार यहां के कुछ अन्य लोकप्रिय आकर्षण हैं। निसर्गधाम में एक वन विभाग द्वारा संचालित गेस्ट हाउस और ट्रीटोप बांस के कॉटेज हैं।

यहां पर चॉकलेट की बहुत सी दुकान है, जहां भिन्न भिन्न प्रकार की चॉकलेट आपको मिल जाएंगी। 

मदिकेरी में घूमने की जगहें

मदिकेरी से कुशलनगर एक घंटे का रास्ता है। मदिकेरी पहुंचने के लिए आपको निरंतर अंतराल पर बसें संचालित होती हैं। 

एब्बे वॉटरफॉल

मदिकेरी से एब्बे वॉटरफॉल की दूरी 8 किमी है। यह वॉटरफॉल कॉफी के सुंदर बागानों से चारों तरफ से घिरा है। आपको वॉटरफॉल तक पहुंचने के लिए लंबी सीढ़ियां उतरनी पड़ेगी। लेकिन उसके बाद जो प्राकृतिक नज़ारा आपको दिखेगा वो आपकी सारी थकान छू मंतर कर देगा। 

एब्बे वॉटरफॉल

एब्बे वॉटरफॉल को पहले जेस्सी वॉटरफॉल के नाम से जाना जाता था। जेस्सी एक अंग्रेज़ अधिकारी की पत्नी थी। बाद में इसका नाम एब्बे पड़ा। कुछ वक़्त निहारने के बाद हम वापस आने को तैयार हुए। यहां बरसात के मौसम में वॉटरफॉल अपने रौद्र रूप में होता है।

राजाओं के मकबरे

मुख्य शहर से एक किमी दूर राजाओं के मकबरे पहाड़ी क्षेत्र के किनारे पर बने ऐतिहासिक स्मारक हैं, जो इंडो-दर्शनीय शैली में निर्मित है। दाहिनी ओर दो मुख्य मकबरे हैं। लिंगराजेंद्र का निर्माण उनके पुत्र चिक्कविराजेंद्र ने ए डी 1820 में किया था और रुद्रप्पा (शाही पुजारी) की कब्र के बाईं ओर जो 1834 में बनाया गया था और केंद्र मकबरा डोड्डा वीराराजेन्द्र और उनकी रानी का है। 

राजाओं के मकबरे

यहां ऊंचाई से आप पूरा मदिकेरी शहर देख सकते है। आपको बहुत सारी फ़ोटो खींचने के लिए मनमोहक दृश्य मिल जाएंगे।

कूर्ग शहर का नज़ारा

मदिकेरी किला और संग्रहालय

कूर्ग बस स्टॉप से सिर्फ 700-800 मीटर की दूरी पर स्थित है मदिकेरी का किला। किला बहुत भव्य नहीं है पर उस वक़्त के इतिहास का बखूबी बयां करता है। अब इस इमारत को सरकारी कार्यालय के लिए प्रयोग किया जाता है।

मदिकेरी संग्रहालय

इसके ठीक सामने एक संग्रहालय है जहां आपको कोडवा संस्कृति की झलक देखने को मिल जाएगी। आसपास की खुदाई में प्राप्त सारी चीज़े यहां संग्रहित है।

राजा की सीट

मदिकेरी किले से कुछ दूर पैदल चलने पर आप राजा की सीट तक पहुंच जाएंगे। यह वाकई में एक अद्भुत जगह है। यहां आप पर्वत श्रृंखलाएं, सूर्योदय, सूर्यास्त और कॉफी के बागानों को एक ऊंचाई सें देखने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। 

राजा की सीट से मनोरम दृश्य

बच्चों और परिवार के साथ समय बिताने के लिए इसको एक पार्क का रूप दिया गया है। कहा जाता है कि यह कुर्ग के राजा सूर्यास्त देखने अपनी रानियों के साथ आते थे। 

ओंकारेश्वर मंदिर

मदिकेरी में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर को 1820 में राजा लिंगराजेंद्र द्वितीय ने तपस्या के रूप में बनवाया था। मंदिर वास्तुकला के मुहम्मदन शैली में बनाया गया है, जिसमें एक गुंबद है। इसके चार कोने चारों बुर्जों से घिरे हैं।

ओंकारेश्वर मंदिर

मंदिर के प्रवेश द्वार के पास एक लिंग स्थापित है। मंदिर की एक और आकर्षक वास्तुशिल्प विशेषता और सामने एक छोटा सा तालाब है, जिसमें विभिन्न प्रकार की मछलियां है।

आसपास के अन्य पर्यटन स्थल

  • मंडलपट्टी की जीप सफारी – मदिकेरी से 25 किमी दूरी पर स्थित है मंडलपट्टी, जहां पहुंचने के लिए आपको पुष्पगिरी के घने जंगलों से गुजरना होगा। बारिश के मौसम में ताज़ा नहाए घास और हवा के झोकों के साथ झूमते जंगली फूलों से इसकी सुंदरता दोगुनी हो जाती है।
  • दुबारे हाथी कैंप – यहां आप हाथियों को नहाते – खेलते देख सकते है और अगर आप चाहे तो हाथियों को नहला भी सकते है।
  • तलकावेरी – कूर्ग से इसकी दूरी 40 किमी है। यह वह स्थान है जहां से कावेरी नदी की उत्पत्ति हुई है। कावेरी नदी सप्त सिंधु नदियों में से एक पवित्र नदी है।

कूर्ग में क्या चखें?

कूर्ग जितना घूमने के मामले में प्रसिद्द है, उतना ही खाने के मामले में भी। यहाँ मुख्य रूप से कूर्गी जायदा देखने को मिलता है। इसके अलावा भी कूर्ग  में पारम्परिक कर्नाटकी भोजन के कई विकल्प मौजूद हैं। 

मदिकेरी का ‘कुर्गी’ रेसटोरेंट में खाने के लिए लंबी कतारें लगती है। आपको टोकन नंबर मिलेगा। आपका नंबर आने पर आपको सीट मिलेगी। कूर्ग कुज़ीन, उडुपी गार्डन, रैनट्री रेस्टॉरेंट, टेस्ट ऑफ़ कूर्ग, अम्बिका उपहार आदि कुछ जगहें हैं जहां आप खाना खा सकते है।

नीचे की तालिका में कूर्ग  में चखने वाले टॉप व्यंजनों की सूची है।

खाने की चीज़ेंजगहें
फ़िल्टर कॉफ़ीमदिकेरी-विराजपेट रोड और जट्टीपला-कनकपुरा रोड, बस स्टैंड, और शहर के किसी भी दुकान पर।
कड़ांबुट, अक्की ओटी थालिया पुट्टु, पा पुट्टु, नू पुट्टु, नुचु पुट्टु, थंबुट्टु आदि।मदिकेरी-विराजपेट रोड और जट्टीपला-कनकपुरा रोड, बस स्टैंड, और शहर के किसी भी दुकान पर।
पंदी करी, कोडवा कोला करी, बैंबू शूट करीमदिकेरी-विराजपेट रोड और जट्टीपला-कनकपुरा रोड, बस स्टैंड, और शहर के किसी भी दुकान पर।
चॉकलेटबस स्टैंड, और शहर के किसी भी दुकान पर।
जैकफ्रूट इडली, जैकफ्रूट पापड़, मूंगदाल गाजर सलाद, पम्पकिन इडलीबस स्टैंड, और शहर के किसी भी दुकान पर।

चॉकलेट और कॉफी प्रेमियों का स्वर्ग है कूर्ग

चॉकलेट का सबसे ज्यादा उत्पादन कूर्ग में होता है। आप यहां से तरह – तरह के चॉकलेट और घर की बनी कॉफी खरीदना ना भूलें। बस स्टॉप के पास “ गणेश कॉफी “ नामक दुकान है जो शहर में बेहतरीन कॉफी के विक्रेता है। लौंग, इलायची, काली मिर्च जैसे मसाले भी आपको जरूर घर ले जाना चाहिए। यहां का होम मेड वाइन भी प्रसिद्ध है।

कूर्ग में क्या करें?

1. कॉफ़ी एस्टेट में रुकें

कूर्ग  में एक बेहतरीन अनुभव चाहते है?

अगर हां, तो सबसे अच्छा तरीका है कि आप किसी कॉफी एस्टेट में रुकिए। कॉफी की खेती होते हुए देखें और साथ ही बारीकी से समझे कि कप में आने वाली कॉफी आखिर बनती कैसे है।

2. दुबारे हाथी कैंप की सैर करें

आप शहर से कुछ किमी पर स्थित दुबारे हाथी कैंप की सैर आपके अनुभव में चार चांद लगा सकती है। आप यहाँ हाथियों को खेलते, नहाते और घूमने हुए देख सकते हैं। आप हाथियों को खुद नहला भी सकते हैं।

3. कोडवा जाति और संस्कृति की झलक अनुभव करें

यहां के लोग कोडवा नामक आदिवासी जनजाति के है। इनका संबंध सिंधु घाटी सभ्यता के शहर मोहनजोदड़ो से है। स्कन्द पुराण में कोडवा को चंद्रवंशी राजाओं का वंशज बताया गया है, जो पार्वती के पूजक और कावेरी नदी के जन्मस्थल के रक्षक थे। 

यह शहर 8वीं सदी में बसा था। यहां सबसे पहले गंग वंस के शासकों ने राज किया। बाद में पांडव, चोल, कदंब और चालुक्य वंश के राजाओं का शासन था। आज भी आपको यहाँ कोडवा संस्कृति की झलक देखने को मिल जाएगी। 

4. ट्रेकिंग और कैंपिंग का आनंद लें

कूर्ग में आप विभिन्न तरह के एडवेंचर एक्टिविटीज कर सकते हैं जैसे ट्रैकिंग, कैंपिंग, जीप सफारी, हाईकिंग आदि। तो अगर आप एडवेंचर लवर हैं तो इन एक्टिविटीज का आनंद अवश्य लें।

कूर्ग में क्या खरीदें?

जिस तरह आपके पास कूर्ग  में घूमने और खाने के तमान विकल्प मौजूद है, उसी तरह यहां खरीदने के लिए बहुत कुछ है। 

इसकी पूरी तालिका नीचे दी गई है।

क्या खरीदेंकहां से खरीदें
कॉफीकुशलनगर मार्केट, तिब्बती फ्ली मार्केट, मुख्य बाज़ारों में।
तरह- तरह के मसाले (काली मिर्च, हल्दी
लौंग इलायची आदि)
कुशलनगर मार्केट, तिब्बती फ्ली मार्केट,और मुख्य बाज़ारों में।
ड्राई फ्रूट्स, होममेड वाइनकुशलनगर मार्केट, तिब्बती फ्ली मार्केट,और मुख्य बाज़ारों में।

पब्लिक टॉयलेट और स्वच्छता

कूर्ग शहर के भीतर सभी पब्लिक जगहों पर टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही शहर स्वच्छ और साफ़ सुथरा है। आप खाने की जगहों और घूमने की जगहों की स्वछता से काफी खुश और संतुष्ट होंगे।

यात्रा के साधन और आकर्षणों के बीच दूरी

कूर्ग में सभी मुख्य घूमने वाली जगहें काफी दूरी पर स्थित हैं। हर ओर से हरियाली से भरा हुआ यह शहर रोड की जरिये पहुंचने योग्य है। ऑटो, कैब, टैक्सी आदि से आप सभी पर्यटन स्थलों पर बेहद आसानी से पहुंच सकते हैं। ध्यान रहे टैक्सी आउट ऑटो  को ढीला कर सकते हैं।

एक अन्य तरीका यह है कि  आप बाइक या स्कूटर किराये पर ले और अपने मन मुताबिक शहर का भ्रम करें। शहर में कई बाइक रेंटल उपलब्ध हैं। 

नीचे दिए गए में से आपको आकर्षणों के बीच दूरी का पता लग जायेगा।

कूर्ग कैसे पहुंचें?

रेल द्वारा

कूर्ग में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। कूर्ग से निकटतम रेलवे स्टेशन मैसूर रेलवे स्टेशन है। कूर्ग से लगभग 107 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, मैसूर रेलवे स्टेशन भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

रोड द्वारा

कूर्ग एक सुगम और भरोसेमंद बस सेवा के साथ आस-पास के शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) द्वारा चलाई जाने वाली बसें परिवहन के सबसे अच्छे और सबसे विश्वसनीय साधन हैं। KSRTC के पास डीलक्स बसों की एक लम्बी लिस्ट है जो राज्य के सभी प्रमुख शहरों जैसे बैंगलोर (243 किलोमीटर), मैंगलोर (151 किलोमीटर) और मैसूर (107 किलोमीटर) से कूर्ग के लिए नियमित परिवहन प्रदान करती है।

हवाई मार्ग द्वारा

निकटतम अंतरराष्ट्रीय मैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो कूर्ग शहर से सिर्फ 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। घरेलू उड़ानों के लिए, निकटतम एयरपोर्ट मैसूर, है जो 120 किलोमीटर दूर है। हालांकि, सबसे अच्छी तरह से कनेक्टेड हवाई अड्डा बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 286 किलोमीटर दूर है।

कूर्ग  घूमने का सही समय

वैसे तो सालभर यह जगह पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन अगर आप बरसात के मौसम में जाए तो इसकी सुंदरता को चार चांद लग जाते है। छतरी और रेनकोट रखना बिल्कुल ना भूलें। इसके अलावा ठण्ड के मौसम यानि अक्टूबर से मार्च तक का समय अनुकूल रहता है।

कितने दिन और बजट की जरूरत होगी?

दिनों की संख्या

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कूर्ग को किस प्रकार से घूमना चाहते हैं। फिर भी नीचे एक तालिका है जो आपको फैसला लेने में मदद करेगी।

बजट

बजट भी इसी बात पर निर्भर है कि किस तरह का अनुभव करना चाहते हैं। फिर भी दिन के आधार पर एक सामान्य बजट नीचे दिया गया है। ध्यान दें कि इसमें ट्रैकिंग, वाइल्डलाइफ सफारी आदि का शुल्क नहीं जोड़ा गया है।

दिनों की संख्याबजट
एक दिन (सिर्फ शहर के बीच भ्रमण)1500₹
दो दिन (सफारी और कॉफ़ी एस्टेट सहित भ्रमण)3000₹

कूर्ग  में ठहरने के विकल्प

कूर्ग  में ठहरने की विकल्पों की कोई कमी नही है। सस्ते हॉस्टल, होमस्टे से लेकर बड़े होटलों तक, सब उपलब्ध हैं। सभी होटल मुख्य शहर के आजू बाजू के ही इलाकों में बसे है। आप अपने सुविधा के अनुसार होटलों का चयन कर सकते हैं।

कुछ सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

कूर्ग पहुंचने का आसान तरीका क्या है?

बंगलौर हवाई अड्डा कूर्ग का निकटतम हवाई अड्डा है। वहां से आप बस के माध्यम से पहुंच सकते हैं। रोड की स्थिति अच्छी होने के कारण आप अपने निजी वाहन से भी जा सकते हैं।

कूर्ग में क्या करें?

सबसे मुख्य काम यह करें की कॉफी बागानों की सैर करें। कॉफी बनने की विधि देखे और संभव हो तो कॉफी एस्टेट में ही रुकने की योजना बनाएं। इसके अलावा चॉकलेट और कॉफी खरीदें, साथ ही प्रकृति की गोद में आराम करें।

कूर्ग जाने का अच्छा समय क्या है?

सर्दी और बरसात के मौसम आदर्श माने जाते हैं। इस समय कुर्ग की खूबसूरती और निखार के आती है। और हां गर्मी में जाने से परहेज़ करें।

कूर्ग को और किस नाम से जाना जाता है?

कूर्ग या कोगाडू कर्नाटक राज्य में एक जिला है, जिसका मुख्यालय मदिकेरी है। मुख्यता सभी पर्यटन स्थल मदिकेरी के आसपास ही हैं।


हमारा अनुभव

प्रकृति के करीब रहना हमेशा से सुखदायी और आनंदमय होता है। सच कहूं तो यह यात्रा एक शानदार यात्रा रही जहाँ ना सिर्फ प्रकृति के करीब रहा बल्कि नयी संस्कृति देखी और नए-नए लोगो से मिला। अगर आप कभी इस प्राकृतिक सुंदरता को निहारने का विचार बनाए और मन में कोई भी सवाल हो, हमसे बेझिझक पूछें।


एक अपील: कृपया कूड़े को इधर-उधर न फेंके। डस्टबिन का उपयोग करें और यदि आपको डस्टबिन नहीं मिल रहा है, तो कचरे को अपने साथ ले जाएं और जहां कूड़ेदान दिखाई दे, वहां फेंक दें। आपकी छोटी सी पहल भारत और दुनिया को स्वच्छ और हरा-भरा बना सकता है।


Abhishek Singh

मैं अभिषेक सिंह नवाबों के शहर लखनऊ से हूं। मैं एक कंटेंट राइटर के साथ-साथ डिजिटल मार्केटर भी हूं | मुझे खाना उतना ही पसंद है जितना मुझे यात्रा करना पसंद है। वर्तमान में, मैं अपने देश, भारत की विविध संस्कृति और विरासत की खोज कर रहा हूं। अपने खाली समय में, मैं नेटफ्लिक्स देखता हूं, किताबें पढ़ता हूं, कविताएं लिखता हूं, और खाना बनाता हूँ। मैं अपने यात्रा ब्लॉग मिसफिट वांडरर्स में अपने अनुभवों और सीखों को साझा करता हूं।

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  • आपकी विचारों को व्यक्त करने की शैली सराहनीय है। उम्मीद है ऐसी ही अन्य जगहों से आप हमें रूबरू कराएँगे।

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