क्या आपको पता है कि चिकमगलूर भारत में नहीं बल्कि पूरे एशिया में कॉफ़ी का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है?
इतना ही नहीं भारत में सबसे पहले कॉफ़ी इसी शहर में उगाई गयी थी। यह शहर मंदिरों-मठों, एडवेंचर स्पोर्ट्स, वाइल्डलाइफ और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है। चाहे आप एडवेंचर लवर हों या प्रकृतिके बीच खुद को आराम देना चाहते हों, चिकमगलूर में सबके लिए कुछ न कुछ जरूर है।
आज हम इस लेख में चिकमगलूर से जुड़े सभी चीज़ों को बताएँगे कि क्या करें, कहाँ घूमें, क्या खरीदें और भी बहुत कुछ। तो चलिए शुरू करते है।
सूचना: इस पोस्ट में कुछ लिंक हो सकते हैं। जब आप उनके माध्यम से कुछ खरीदते हैं या कोई बुकिंग करते हैं तो हमें वित्तीय सहायता मिलती हैं। वे किसी भी तरह से हमारी राय या यहां प्रस्तुत जानकारी को प्रभावित नहीं करते हैं।
मेन सिटी से लगभग 9 किमी की दूरी पर स्थित हिरेकोलाले झील असल मायनों में प्रकृति का आशीर्वाद है। इसका नज़ारा शायद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। हालाँकि यह एक मैन मेड लेक है पर इसके सामने पहाड़ो की श्रृंखलाआपको अद्भुत कर देगी।
इसे चिकमगलूर शहर में पीने और सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति के लिए एक स्रोत के रूप में बनाया गया था। यह झील पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध नहीं है, इसलिए बिलकुल निश्चिंत रहें, आप यहाँ आराम से कुछ शांति के पल बीता सकते है। वैसे अजीब लगता है कि इतना सुन्दर होने के बावजूद भी पर्यटक यहाँ तक नहीं पहुंच पाते।
एक बात और यह है कि यहाँ पहुंचने के लिए आपको प्राइवेट टैक्सी या ऑटो बुक करके जाना पड़ेगा। क्योंकि इस रुट पर बसों का सञ्चालन बहुत कम होता है। सुनिश्चित करें की आप शाम में देर तक यहाँ ना रुकें।
चिकमगलूर शहर से 35 किमी की दूरी पर बेलूर में छन्नाकेश्वा मंदिर स्थित है। यह 1117 ईस्वी में राजा विष्णुवर्धन द्वारा बनवाया गया था। मंदिर को तीन पीढ़ियों के अंतराल में बनाया गया था और इसे पूरा करने में 103 साल लगे। इसे युद्धों में बार-बार क्षतिग्रस्त किया गया और लूटा गया।
बार-बार इसकी मरम्मत भी की गई। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर परिसर में कुल 13 मंदिर है। इसको देखने पर द्रविड़ियन और विजयनगर वास्तुकला की झलक देखने को मिलती हैं। यह मंदिर पत्थर पर की गयी नक्काशी का एक बेहतरीन उदाहरण है।
बाबा बुदानगिरी पर्वत श्रृंखला में स्थित मुल्ल्यानगिरी समुद्र तल से 1930 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह कर्नाटक की सबसे ऊंची चोटी है। मुख्य शहर से इसकी दूरी 10 किमी है। यह जगह अपने शांत माहौल, हरियाली और ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध है। यहां एक शिव मंदिर भी है, जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है। ऊंचाई पर पहुंचकर आपको अत्यंत शांति और सुकून का अनुभव होगा। पहाड़ी के घुमावदार और जंगल रास्ते रोमांचक ट्रेल्स के लिए काफी प्रसिद्ध हैं।
ट्रेंकिग के अलावा आप यहां कैंपिंग, माउंटेन बाइकिंग और एक लंबी पैदल यात्रा का आनंद उठा सकते हैं।
बाबा बुदांगिरी चोटी शहर से 12 किमी की दूरी पर है। संत हजरत दादा हयात खण्डलार उर्फ बाबा बुडान को समर्पित यह जगह अपने मंदिर के लिए जानी जाती है। इस जगह को हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समान रूप से सम्मान देते हैं। चिकमगलूर ही वह शहर है जहां भारत में सबसे पहले कॉफ़ी उगाई गई थी। माना जाता है कि 1670 ईस्वी में इस जगह पर सूफी बाबा बुडान ने कॉफी की फसल उगाई थी|
नीलकुरिंजी के अद्वितीय फूलों की प्रजाति भी इन्ही पहाड़ियों पर हर बारह साल में एक बार खिलती है जो इस जगह का एक प्रमुख आकर्षण है| बाबा बुडांगिरी हिल्स घने जंगलों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। इन पहाड़ियों में लंबी पैदल यात्रा और ट्रेकिंग की जा सकती हैं।
490 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ भद्रा वन्यजीव अभयारण्य चिकमंगलूर शहर से केवल 38 किमी पश्चिम में स्थित है। हर तरफ पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से घिरा, भद्रा वन्यजीव अभयारण्य का दृश्य किसी फिल्म के दृश्य जैसा लगता है! दूर-दूर तक फैले पहाड़, जैसे बर्फ से ढकी चोटियाँ आसमान को भेदती हैं। पहाड़ों की ऊंची चोटियां कुछ यूं प्रतीत होती है जैसे वन्यजीव अभयारण्य ने मुकुट धारण किया हो।
चिकमगलूर से 60 किमी की दूरी पर स्थित इस उद्यान की सैर करना बिल्कुल ना भूलें। यह अपने प्राकृतिक खजानों में पहाड़, प्राचीन झरने और हरे-भरे परिदृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो यह स्थान आपके लिए सबसे खास है। यहां आपको प्रकृति के करीब जाने का भरपूर मौका मिलेगा जहां आप एक यादगार पल बिता सकते हैं।
कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान 600 किलोमीटर लम्बा है। इस क्षेत्र की कई चोटियों पर वनस्पतियों और जीवों की विविध प्रजातियां प्रचुर मात्र में पायी जाती हैं| उद्यान से सम्बन्धित कुछ महत्वपर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं –
चिकमगलूर जिले से 5 किलोमीटर की दूरी पर हिरेमगलुर में स्थित कोदण्ड राम मंदिर होयसला के काल में बनी एक प्राचीन मंदिर है। मंदिर का केंद्रीय ढांचा द्रविड़ियन शैली में बनाया गया है। इसका शेष भाग विजयनगर के शासकों द्वारा बनवाया गया था। नवग्रहों को 14 वीं शताब्दी में और मुख्य मंडप को 16 वीं शताब्दी ं बनवाया गया था। इस मंदिर में कोदंड राम, सीता और लक्ष्मण के चित्रों की पूजा की जाती है। स्थलपुराण के अनुसार, सीता और लक्ष्मण के साथ राम जी ने इस पवित्र स्थान पर परशुराम जी को दर्शन दिए थे।
श्री आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया इस पवित्र मंदिर का नाम प्रसिद्ध ऋषि श्रृंगी के नाम पर रखा गया था। ये वही ऋषि है जिन्होंने सतयुग में राजा परीक्षित को किसी कारणवश श्राप दिया था। यह स्थान शहर से 57 किमी की दूरी पर है।
इस संग्रहालय कॉफ़ी की ऐतिासिक यात्रा की पूरी कहानी बयां करता है। साथ ही आप यहां कॉफ़ी बनाने की पूरी प्रक्रिया देख सकते है। इस स्थान की दूरी शहर से 5 किमी है।यह संग्रहालय ‘कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया’ द्वारा संचालित है।
केमानगुडी चिक्कमगलुरु से कुछ दूर स्थित एक हिल स्टेशन है। यह समुद्र तल से 1434 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां राजा कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ गर्मी से निजात पाने के लिए घूमने आते थे और राजा के सम्मान के रूप में, इसे श्री कृष्णराजेंद्र हिल स्टेशन के रूप में भी जाना जाता है। यह स्थान भी हर प्रकार से प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है।
केमानगुडी की पहाड़ियों में बसा यह जलप्रपात प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाता है। लगभग 180 मीटर से गिरता हुआ पानी की धारा आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। यहाँ का शीतल वातावरण, ठंडी हवा, दूर तक फैली शांति किसी को भी घायल करने के लिए काफी है।
चिकमगलूर घूमने के साथ साथ खाने के मामले में भी एक बेहतरीन शहर है। यहाँ मुख्य रूप से मलनाड जायका देखने को मिलता है। इसके साथ ही यहाँ मंगलोरियन और कूर्गी जायदा भी पसंद किया जाता है। चिकमगलूर भारत का वह शहर है जहाँ सबसे पहले कॉफ़ी उगाई गयी थी।
नीचे की तालिका में चिकमगलूर में चखने वाले टॉप व्यंजनों की सूची है।
क्या खाएं | कहाँ खाएं |
---|---|
फ़िल्टर कॉफ़ी | महात्मा गाँधी रोड और शहर के किसी भी दुकान पर |
अक्की रोटी, रागी रोटी, काकड, कबुडु, पथरोड | महात्मा गाँधी और इंदिरा गाँधी रोड पर स्थित रेस्टॉरेंट्स में |
बीसी बेले भात, केसरी भात और वंगी भात | महात्मा गाँधी और इंदिरा गाँधी रोड पर स्थित रेस्टॉरेंट्स में |
चॉकलेट | सदर बाजार, पंछी पेठा, मुन्ना लाल, गोपाल दास और अन्य मिठाई की दुकानों पर |
जैकफ्रूट इडली, जैकफ्रूट पापड़, मूंगदाल गाजर सलाद, पम्पकिन इडली | महात्मा गाँधी और इंदिरा गाँधी रोड के साथ साथ शहर में स्थित किसी रेस्टॉरेंट्स में |
चिकमगलूर में एक बेहतरीन अनुभव चाहते है?
अगर हां, तो सबसे अच्छा तरीका है कि आप किसी कॉफी एस्टेट में रुकिए। कॉफी की खेती होते हुए देखें और साथ ही बारीकी से समझे कि कप में आने वाली कॉफी आखिर बनती कैसे है।
प्रकृति प्रेमियों के लिए यह शहर एक आदर्श स्थान है। आप शहर से कुछ किमी पर स्थित भद्रा वाइल्डलाइफ सेंचुरी की जीप सफारी आपके अनुभव में चार चांद लगा सकती है।
कॉफी के शहर में कॉफी म्यूजियम के बारे में समझना, इतिहास को जानना और प्रसंशा करना एक और खूबसूरत कार्य जो सकता है, जो आपको चिकमगलूर में अवश्य ही करना चाहिए।
चिकमगलूर में आप विभिन्न तरह के एडवेंचर एक्टिविटीज कर सकते हैं जैसे भद्रा नदी में रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग, वाइल्डलाइफ सफारी आदि।
जिस तरह आपके पास चिकमगलूर में घूमने और खाने के तमान विकल्प मौजूद है, उसी तरह यहां स्मृति चिन्ह के रूप में खरीदने के लिए बहुत कुछ है।
इसकी पूरी तालिका नीचे दी गई है।
क्या खरीदें | कहां से खरीदें |
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कॉफी | पांडुरंगा काफी, मार्केट रोड, स्पाइस हब, एमजी रोड पर। |
तरह- तरह के मसाले | मार्केट रोड और मुख्य बाज़ारों में। |
चंदन की मूर्तियाँ, इत्र, काली मिर्च, ड्राई फ्रूट्स, हल्दी | मार्केट रोड और मुख्य बाज़ारों में। |
चिकमगलूर शहर के भीतर सभी पब्लिक जगहों पर टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही शहर स्वच्छ और साफ़ सुथरा है। आप खाने की जगहों और घूमने की जगहों की स्वछता से काफी खुश और संतुष्ट होंगे।
चिकमगलूर में सभी मुख्य घूमने वाली जगहें काफी दूरी पर स्थित हैं। हर ओर से हरियाली से भरा हुआ यह शहर रोड की जरिये पहुंचने योग्य है। ऑटो, कैब, टैक्सी आदि से आप सभी पर्यटन स्थलों पर बेहद आसानी से पहुंच सकते हैं। ध्यान रहे टैक्सी और ऑटो आपकी जेब को ढीला कर सकते हैं।
एक अन्य तरीका यह है कि आप बाइक या स्कूटर किराये पर ले और अपने मन मुताबिक शहर का भ्रम करें। शहर में कई बाइक रेंटल उपलब्ध हैं।
नीचे दिए गए में से आपको आकर्षणों के बीच दूरी का पता लग जायेगा।
वैसे तो चिकमगलूर सालभर जय जा सकता है, पर सर्दी और बरसात के मौसम में इसका निखार और भी अधिक हो जाता है।
आप अपने खुद के वाहन के साथ साथ , टैक्सी बुक कर सकते है। ट्रेक्किंग भी अच्छा विकल्प है।
चिकमगलूर ही वह शहर है जहां भारत में सबसे पहले कॉफ़ी उगाई गई थी। माना जाता है कि 1670 ईस्वी में इस जगह पर सूफी बाबा बुडान ने कॉफी की फसल उगाई थी|
यूं तो बहुत से होटल और हॉस्टल यहां उपलब्ध है, पर आप सही में वादियों का मज़ा लेना चाहते है, तो कॉफी एस्टेट में आवास लें। वो एक अलग ही अनुभव होगा।
बंगलौर सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, वहां से लगातार अंतराल पर बसें संचालित है।
रेल द्वारा
चिकमगलूर शहर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है, इसलिए निकटतम रेलवे स्टेशन कदुर में लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित है। आप कदुर रेलवे स्टेशन से चिकमगलूर के लिए टैक्सी और बस ले सकते हैं।
रोड द्वारा
बैंगलोर से हर 30-60 मिनट में बसें चलती हैं। वीकेंड के दौरान ये बसें अक्सर भरी रहती हैं तो टिकट प्राप्त करने में थोड़ी परेशानी हो सकती है। KSRTC (कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम) बसें आरामदायक हैं, खासकर ऐरावत वोल्वो बसें।
हवाई मार्ग द्वारा
मैंगलोर हवाई अड्डा, जो लगभग 113 किमी दूर स्थित है, चिकमगलूर का निकटतम हवाई अड्डा है। हवाई अड्डा चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और अन्य प्रमुख भारतीय शहरों से उड़ानों के लिए अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप चिकमंगलूर के लिए हवाई अड्डे से प्रीपेड टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
हालांकि चिकमगलूर में साल भर ठंडी और सुखद जलवायु रहता है, लेकिन चिकमगलूर घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर से मई के बीच है। यहां सर्दी का मौसम दिसंबर से फरवरी तक रहता है। अगर आप सच्चे प्रकृति प्रेमी है तो सर्दी और बरसात का मौसम सबसे अनुकूल रहेगा। इस वक़्त इसकी सुंदरता में अद्भुत सा निखार आता है।
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप आगरा को किस प्रकार से घूमना चाहते हैं। फिर भी अगर आप एडवेंचर स्पोर्ट्स, सफारी आदि का मज़ा लेना चाहते हैं तो दो से तीन दिन की जरुरत होंगी।
बजट भी इसी बात पर निर्भर है कि किस तरह का अनुभव करना चाहते हैं। फिर भी दिन के आधार पर एक सामान्य बजट नीचे दिया गया है। ध्यान दें कि इसमें ट्रैकिंग, वाइल्डलाइफ सफारी आदि का शुल्क नहीं जोड़ा गया है।
दिनों की संख्या | बजट |
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एक दिन (सिर्फ शहर के बीच भ्रमण) | 1500₹ |
दो दिन (सफारी और कॉफ़ी एस्टेट सहित भ्रमण) | 3000₹ |
तीन दिन (सफारी,एडवेंचर स्पोर्ट्स और कॉफ़ी एस्टेट सहित भ्रमण) | 5000₹ |
चिकमगलूर में ठहरने की विकल्पों की कोई कमी नही है। सस्ते हॉस्टल, होमस्टे से लेकर बड़े होटलों तक, सब उपलब्ध हैं। सभी होटल मुख्य शहर के आजू बाजू के ही इलाकों में बसे है। आप अपने सुविधा के अनुसार होटलों का चयन कर सकते हैं।
तो आप भी कभी निकालिए कुछ वक़्त अपने व्यस्त जीवन से और कुछ पल बिताइए प्रकृति की हसीन वादियों में।
उम्मीद है यह लेख आपको अपने चिकमगलूर की यात्रा में थोड़ा मददगार साबित होगा। फिर भी आप कोई सवाल पूछना या सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे टिप्पणी बॉक्स में अपने विचार हमसे साझा करें।
एक अपील: कृपया कूड़े को इधर-उधर न फेंके। डस्टबिन का उपयोग करें और यदि आपको डस्टबिन नहीं मिल रहा है, तो कचरे को अपने साथ ले जाएं और जहां कूड़ेदान दिखाई दे, वहां फेंक दें। आपकी छोटी सी पहल भारत और दुनिया को स्वच्छ और हरा-भरा बना सकता है।
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