भारत में लगभग सभी कॉलेज के विद्यार्थी अपने कॉलेज के दिनों में गोवा जाने का प्लान अवश्य बनाते हैं। लेकिन इनमें से बहुत ही कम होते है जिनकी गोवा यात्रा सफल हो पाती है। अफ़सोस मेरी भी गोवा की यात्रा कॉलेज के दिनों में पूरी ना हो पाई।
हम 6 अक्टूबर, 2019 को गोवा आए थे – गोवा आने के लिए यह बहुत अच्छा समय नहीं था, लेकिन फिर भी यह अनुचित था। कहते है कि गोवा हर मौसम में अलग रंग दिखाती है और जब बात बारिश की हो तो इस मौसम में तो इसकी हरियाली में अनोखा निखार सा आ जाता है।
पुणे में हमारा एक दिन हर मायने में यादगार था, यह अब तक की हमारी यात्राओं में सबसे बेहतरीन काउचसर्फिंग में से एक था। इसने हमें हमारे अगले पड़ाव ( गोवा ) के लिए सकारात्मक ऊर्जा भर दिया।
विशेष ज्ञान: काउचसर्फिंग आपको दुनिया में कहीं भी मुफ्त में रहने देगा। विश्वास नहीं हुआ ना?
मुझे नहीं लगा था कि मैं गोवा के बारे में लिखूंगा या एक लेख प्रकाशित किया जाएगा। कारण? हम सिर्फ मौज मस्ती के लिए गोवा गए और अच्छा समय बिताया।
आपको कभी आभास नहीं होता है कि कोई जगह आपको किस हद तक प्रभावित कर सकती है और आखिरकार आप उस स्थान का विभिन्न रूपों में प्रशंसा करते हैं। आप गोवा को ही ले लीजिए – पहली बार समुद्र तट , गोवा का खाना, स्कूटर की सवारी, लंबे ताड़ और नारियल के पेड़, सुंदर सूर्यास्त और पागल दोस्तों का झुंड। किसी को और क्या चाहिए?
इसलिए, अब पकाए बिना, मैं सीधे आपको अपने दो पागल दोस्तों के साथ, गोवा की यात्रा पर ले जाता हूं।
और मैं आपसे वादा करता हूं कि अगर आप जल्द से जल्द गोवा जाने की योजना बना रहे हैं तो हमारी यात्रा बहुत सहायक होने वाली है।
भारत और दुनिया के शीर्ष शहरों से गोवा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह दुनिया भर में कई लोगों के लिए छुट्टी की जगहों में सबसे अधिक लोकप्रिय स्थानों में से एक है।
पुणे से एक निजी बस सेवा के माध्यम से हम 6 अक्टूबर की सुबह गोवा पहुंचे। जम्हाई लेते और आंखों को मींचते हुए हम, गोवा के एक प्रमुख बस स्टेशन ( मापुसा) उतरे। हम पूरी तरह अनभिज्ञ थे कि किस ओर जाना है।
हमने अपने बैकपैक्स को सड़क के किनारे रख दिया – और ‘नो नेम हॉस्टल’ नाम के हमारे हॉस्टल की लोकेशन का पता लगाना शुरू कर दिया। जल्द ही हमने पाया कि केरी ( केरिम) जाने वाली बसें हमारे हॉस्टल होकर ही गुजरती हैं।
मापुसा बस स्टैंड से बिना किसी नाम के हमारे छात्रावास तक पहुँचने में हमें लगभग एक घंटा लग गया। मुझे उनकी टैगलाइन पसंद है – एक हॉस्टल का एक उद्देश्य होना चाहिए एक नाम नहीं। रास्ते में बस की खिड़की से जब समुद्र दिखता मैं अपनी गर्दन और आंखे उसपर गड़ा लेता।
उत्तर गोवा की हरी-भरी हरियाली में केरी समुद्र तट से लगभग 1 किमी दूर, एक हॉस्टल है, जिसका नाम ‘नो नेम हॉस्टल’ है। जिस चीज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो था वहां का शांत वातावरण।
उन्होंने हमें काउचसर्फिंग के माध्यम से स्वीकार किया था उन्होंने हमें विभिन्न कार्यों के बदले में मुफ्त में रहने दिया। कार्य जो आप कर सकते हैं – स्वीपिंग, डिशवॉशिंग, कुकिंग, टीचिंग, सेवारत इत्यादि।
लेकिन अगर आप इन सभी चीजों को नहीं करना चाहते हैं, और सिर्फ रहना चाहते हैं।
हां, बिल्कुल, आप भुगतान करके बिना किसी कार्य को किए रह सकते हैं।
दुनिया भर के यात्री, कलाकार और साहसिक खेलों के प्रेमी, फ्रांस, स्पेन, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों से यहाँ आते हैं और जब तक वे चाहते है, तब तक नो नाम के समुदाय के साथ सौहार्दपूर्वक रहते हैं।
इसके अलावा योग कक्षाओं का भी आयोजन हर सुबह किया जाता है। आप मुफ़्त में इसमें शामिल हो सकते हैं।
यदि आप कभी भी उत्तरी गोवा में रहने के लिए आते हैं, तो आपको निश्चित रूप से एक बार इस हॉस्टल पर विचार करना चाहिए। यहाँ की कुछ तस्वीरें निम्न है, जो अपना परिचय स्वयं दे रही हैं।
वरुण, सुब्बू, अंकित और एलिसा नो नेम के प्रमुख स्तंभ हैं।
अंकित ने बड़े ही गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया।
थोड़ी सी बातचीत के बाद, अंकित ने हमें हॉस्टल की एक एक चीज़ से रूबरू करवाया और अंत में पड़ोस की एक इमारत में हमें रहने को भेजा। वरुण हमें हमारे कमरों तक ले गया, जिसे वे ‘व्हाइट हाउस’ कहते हैं।
समुद्र तट के बारे में हमारी परिकल्पनाएँ सच होने वाली थीं। चूंकि हॉस्टल से केरी समुद्रतट की दूरी मात्र एक किलोमीटर थीं। सिर्फ फ़ोटो में समुद्रतट देखा था। दिमाग में तरह तरह कि तस्वीरें बन रहीं थीं।
नो नेम ने हमें घूमने के लिए अपनी साइकिल (बिना किसी लागत के) प्रदान की। हमने साइकिल उठाई और बढ़ चले अपनी कल्पनाओं को हकीक़त में बदलने की ओर।
मुझे अभी भी रास्ता याद है। चारों ओर की हरियाली, नारियल के पेड़, हरे खेत, और एक प्यारी सी खामोशी – यह सिर्फ एक सपना सच होने जैसा था। मैं तो रास्ते भर सोच रहा था कि वहां क्या क्या करना है।
और फिर आया वो लम्हा। मैं समुद्रतट से कुछ मीटर की दूरी पर था और जैसे ही दूर से मैंने वो समुद्र की नीली रेखा देखी तो मानो जैसे एक ऊर्जा का संचार हो चला था। पैरों में जैसे पर लग गए हो, साइकिल ने अपने आप गति पकड़ ली।
हम सभी उत्साह में चिल्लाने लगे। हमने अपनी साइकिल को एक पुरानी टूटी नाव के सहारे खड़ी की और समुद्रतट की ओर तेजी से भागे।
पानी का पहला स्पर्श अभी भी मेरे लिए अक्षम्य है। यह हमेशा मेरे साथ होता है – जब मैं कुछ अनोखा देखता या महसूस करता हूं तो मैं शून्य हो जाता हूं। अपने सपने को हकीक़त में देखना कितना उत्साहवर्धक और दिल धड़कने वाला होता है, ये सिर्फ महसूस किया जा सकता है, शब्दों में इसका वर्णन थोड़ा कठिन है।
समय बर्बाद किए बिना, हमने अपना कैमरा और एक्शन कैमरा निकाला और इस खूबसूरत शाम और समुद्र की लहरों को कैद करने में जुट गए।
हम तब तक वहां रहे जब तक सूरज धरती के पीछे छिप नहीं गया। कभी टहलते, कभी लहरों के साथ खेलते और कभी सुंदरता में खो जाते।
वहां कुछ रस्सियां पड़ी थीं जिसके सहारे मैंने थोड़ा आगे जाने का प्रयास किया। और जैसे ही लहर आती, मैं भाग के वापस आ जाता। कितनी खुशी मिलती है लहरों के साथ खेलने में।
हम अपनी जेब और बालों को रेत भर कर वापस आ गए। जैसे-जैसे रात ढलने लगी, वैसे-वैसे हम अपने बिस्तरों में दुबकने लगे। यह शाम जीवन के बेहतरीन शामों में एक थीं।
केरी समुद्रतट उन समुद्र तटों में से एक है, जहां आप भीड़ बिल्कुल नहीं पाएंगे, बल्कि सिर्फ कुछ मछुआरे, कुछ लोग और कुछ आवारा बंजारे, मेरी तरह भटकते हुए मिल जाएंगे।
कहते है कि आप गोवा आए और स्कूटर से गोवा की सवारी नहीं की तो आपका गोवा आना लगभग व्यर्थ होने के समान है। असल में गोआ तो स्कूटर पर ही घूमे जाने वाली जगह हैं। गोआ हर मायने में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है।
अगले दिन, 7 अक्टूबर को जो सबसे पहला काम था वो था स्कूटर किराए पर लेना और आस पास के समुद्रतटों का भ्रमण करना।
आगे बढ़ने से पहले आपका ध्यान कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर डालना चाहूंगा, जो बेशक आपको स्कूटर किराए पर लेने के वक़्त मदद करेंगी।
# 1
वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो:
यह सरल लगता है लेकिन लोग अक्सर इसे भूल जाते हैं।
# 2
वाहन लेने से पहले सभी दस्तावेजों की जाँच करें:
आवश्यक दस्तावेजों की सूंची –
वाहन का वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी),
वाहन का बीमा प्रमाणपत्र,
वाहन का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी)।
प्रमाणपत्रों की अंतिम तारीख या उनके ख़त्म होने की सीमा पर विशेष ध्यान दें।
# 3
एक पीले रंग की नंबर प्लेट वाली वाहन:
यह बात अनुभव के साथ बाहर आ रही है। कोई भी वाहन जिसे आप किराए पर ले रहे हैं, उसमें पीले रंग की नंबर प्लेट होनी चाहिए। अन्यथा आपको यातायात पुलिस कहीं भी रोक के चालान वसूल सकती हैं। और जिस वक़्त हम गोआ में थे, उस समय नए यातायात नियम लागू हो चुके थे।
# 4
हेलमेट के लिए पूछें:
आम तौर पर दो पहिया वाहनों के लिए वे हेलमेट प्रदान करते हैं। अगर नहीं है, तो निश्चित रूप से मांग लें।
# 5
प्रति घंटा नहीं दिन के आधार पर स्कूटर प्रदान की जाती हैं।
शायद ही कोई सेवा प्रदाता प्रति घंटा के आधार पर वाहन दे। इसलिए दिमाग में रखें, यदि आप एक दिन को पार करते हैं, भले ही आपने अगले दिन से केवल आधे घंटे का समय बिताया हो, तो वे आपसे पूरे दो दिनों का किराया मांगेंगे।
गोवा में हर चप्पे पर स्कूटर प्रदाता हैं। थोड़ी औचारिकताएं पूरी करने के बाद आप आसानी से किसी भी स्कूटर को किराए पर ले सकते हैं।
आप गूगल के सहारे निकटतम स्कूटर प्रदाता का पता लगा सकते है। आमतौर पर आपका होटल भी आपको स्कूटर प्राप्त करने में सहायक हो सकता है।
अब हमारी कहानी पर वापस आते हैं। हमने नो नाम से स्कूटी किराए पर ली। हमने सभी चीज़े चेक की सिर्फ # 3 पर गौर करना भूल गए, जिसका खामियाजा हुए आगे भुगतना पड़ा।
मैंने पहले से ही निश्चय कर रखा था कि गोवा में मुझे पीली स्कूटर ही लेनी है। एक दिन जब सुबह मेरे होस्ट ने मुझे इस स्कूटर तो दिखाया तो जैसे मेरी मुराद पूरी हो गई हो। जैसे प्यासा कुआं को, भूखा भोजन को, छोटा बच्चा अपनी मां को निहारता है, ठीक उसी प्रकार मैं भी बस स्कूटर को हर तरफ से घूरता ही जा रहा था।
हमारा अगला पड़ाव कुछ दूरी पर स्थित आरमबोल समुद्रतट था। सुबह का नाश्ता करने के बाद हम आगे बढ़े।
आरमबोल स्पष्ट रूप गोवा के सभी समुद्रतटों में से सबसे स्वच्छ है। आरमबोल की सुंदरता ने हमारी आँखों पर कब्जा कर लिया और हमारी आत्माओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। धूप सर पर थीं, रेत तप रही थी और इनसे निजात समुद्र का शीतल जल दिल रहा था।
श्रद्धा अपने विचारों में खो गई। मैंने और विपिन ने कुछ देर मस्ती की और अपने प्रियजनों को वीडियो कॉल किया।
कुछ समय बिताने के बाद, हम पार्किंग में अपने स्कूटर पर वापस आ गए। पास में ही एक आइसक्रीम बेचने वाला खड़ा था और हमें समुद्र तट की वादियों से खुश देखकर उसने एक व्यापक मुस्कान दी। हम फिर मंडरिम समुद्रतट की ओर अग्रसर हुए।
मंडरिम समुद्रतट, अरामबोल समुद्र तट के 1-2 किमी के दायरे में है, जिसका मार्ग घनी हरी भरी सड़कों से गुजरता है।
और जब हम अगले समुद्रतट के रास्ते पर थे, गाने गा रहे थे और सोच रहे थे कि हम समुद्र तट पर और क्या करेंगे, तभी अचानक हमने एक आदमी को सफेद वर्दी में देखा।
यातायात पुलिस। वाहन से उतरकर उसने अपना हाथ लहराया। हम उसके पास रुक गए। दिल थोड़ा तेज़ होने लगा।
मैंने विनम्रता से पूछा कि क्या हुआ ? उसने अपनी डायरी निकली और ड्राइविंग लाइसेंस की मांग की। हमने अपने अपने लाइसेंस दिखाए।
उसने फिर हमारे स्कूटरों की सफेद नंबर प्लेट देखी और पूछा कि हमने इसे कहां से किराए पर लिया है?
नो नेम द्वारा बताए गए बात को याद करते हुए, हमने कहा कि हमने इसे किराए पर नहीं लिया है और यह हमारे एक मित्र का है।
हमारे झूठ को पकड़ लिया और हमारे पीले चेहरे को देखकर मुस्कुराया और हमें सलाह दी – “मैं तुम्हें छोड़ रहा हूँ, लेकिन अन्य पुलिसकर्मी आपका चालान काट देगा, अतः जितनी जल्दी हो सके स्कूटर को वापस करके पीले नंबर की प्लेट वाली स्कूटर ले लो। हमने हिचकिचाते हुए हामी भरी।
हरे भरे रास्तों से धीरे-धीरे ड्राइविंग करते हुए हम मंडरिम समुद्र तट पर पहुँच गए। हमारे वाहनों को पार्क किया और समुद्र तट तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों के पास गए। और तब…
हमें ज्ञात हुआ कि हम अपना बैग, जिसमें हमारा कैमरा था, आरम बोल तट पर छोड़ आए है। हमारा दिमाग ठनका। अपनी स्कूटर को जितनी तेज़ भगा सकते थे, भगाया।
तरह तरह के विचार मन में आ रहे थे। ख़ैर, राहत की बात यह थी कि उस आइसक्रीम वाले ने हमारे बैग को अपने पास सुरक्षित रखा था। मैंने उसका तहे दिल से आभार जताया और उसने भी एक मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया।
बैग में कैमरे के आलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण सामान थे – जैसे चार्जर , रेनकोट और पावर बैंक।
अब हमने अंजुना और वागाटोर की तरफ कदम बढ़ाए।
वागाटोर और अंजुना समुद्रतट पड़ोसी हैं। हमने पहले वागाटोर जाने का निश्चय किया।
वैसे वैगाटर बीच एडवेंचर और वॉटर स्पोर्ट्स के लिए है। यहां आप कई गतिविधियां कर सकते हैं जैसे – मोटर बोट, पैराग्लाइडिंग, सर्फिंग इत्यादि।
इसके अलावा, यह एक चट्टानी समुद्र तट है। यह दोस्तों के झुंड के साथ एकांत में कुछ अच्छा समय बिताने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।
एक ओर जहां सब समुद्र तट पर मस्ती कर रहे थे, वहीं मैं एक छोटे से चट्टान पर बैठकर गरज़ते हुए लहरों को देख रहा था, सुन रहा था, जैसे वो मुझसे कुछ कहना चाहती हों। ऊपर से हल्की बारिश की बूंदे भी जैसे लहरों की हां में हां मिला रही हों।
कुछ अच्छा समय बिताने के बाद हम अंजुना समुद्रतट की ओर बढ़े। अंजुना पहुंचने के बाद हमें पता चला कि बाजार आज के लिए बंद है। अब हमारे पास समुद्र तट पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
वास्तव में यह अब तक का सबसे व्यस्त और आबादी वाला समुद्रतट था। हमारी ऊर्जाएं पहले ही खत्म हो चुकी थीं, और किसी को भी समुद्र में अनावश्यक रूप से उछलने का उत्साह नहीं था। चूंकि दिनभर इतने कारनामे हो गए थे कि शरीर ने जवाब दे दिया था।
और हां एक और बात अगर आप मांसाहारी है तो समुद्री भोजन को स्वाद जरूर चखे। समुद्री भोजन चखना हमारी सूची में था और यह हमने अंजुना समुद्रतट पर किया। पास के ही एक भोजनालय में हम अपनी अपनी कुर्सी पर विराजमान हुए और सूर्यास्त देखने लगे।
कुछ समय में हमारा खाना आया जिसे हमने बड़े चाव से ग्रहण किया।
खाने के बाद मेरा मन आइसक्रीम खाने का हुआ। सबने हामी भरी। हल्की बारिश, गरजती लहरे, मीठी हवा और ऊपर से आइसक्रीम तो जैसे सोने पे सुहागा। कुछ शामें ऐसी होती है जो यादगार होती है, आपके दिल के एक कोने में एकत्रित हो जाती हैं, ये कुछ ऐसी ही अनोखी शाम थी।
वहां से हम सीधे अपने हॉस्टल की ओर प्रस्थान किए।
अगले दिन, 8 अक्टूबर, हम बहुत स्पष्ट थे कि क्या करना है।
फिर से समुद्र तट? चलो कुछ और कोशिश करते हैं? चलो बस सो जाओ। चलिए केरी में फोटोशूट करते हैं। जम्हाई और छींक। इतनी सारी चीज़े।
अंत में, हमने स्कूटर वापस करके, खरीदारी करने के लिए मापुसा बाजार (गोवा का एक और लोकप्रिय बाजार) जाने का फैसला किया।
घड़ी में दोपहर के 1:30 बज रहे थे और बस के आने का कोई निशान नहीं दिख रहा था। थोड़ी देर में एक बस आई और हम एक घंटे में मापुसा पहुँच गए।
मापुसा बस स्टेशन के पीछे विशाल बाजार स्थित है, जो मापुसा बाज़ार के नाम से प्रसिद्ध है। मैंने मां के लिए कुनबी साड़ी (जिसका उपयोग गोवा की स्थानीय जनजातियों द्वारा किया जाता है) ली।
मैंने कोकुम ( सुखी खटाई ) भी लिया, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत में पाया जाता है। यह कोकुम नामक एक फल से बनता है। कोकुम का जूस भी काफी प्रसिद्ध है। यह कई रोगों के उपचार में सहायक होता है।
और गोवा में यह दिन, इसी तरह से चला गया। शाम की बस पकड़ के हम वापस हॉस्टल आ गए।
गोवा की राजधानी पणजी, मदवी नदी के किनारे स्थित है। यह हमारा अगला गंतव्य था। यह उन ब्लॉगरों में से एक का निवास स्थान है जो हमें हमेशा प्रेरित करती हैं। मैं बात कर रहा हूं अनुराधा गोयल जी की।
हमने 9 अक्टूबर को नो नेम से विदाई ली। अंकित और सभी स्टाफ के लोगों से अंतिम मुलाकात की। अंकित ने आगे से कभी भी हॉस्टल में बेझिझक आने को बोला।
पणजी की ओर – अनुराधा जी से मिलने के लिए और संभवतः पुराने गोवा में कुछ चर्चों को घूमने के लिए –
जैसे ही हम पंजिम या पणजी पहुंचे, हमने रास्ते को आसान बनाने के लिए फिर से दो स्कूटर किराए पर लिए।
जब हम अनुराधा गोयल जी से मिले और बधाई दी। काफ़ी देर तक कुछ चीजों पर बात करने के बाद उन्होंने हमें भोजन कराया। शाम के 3 बजे चुके थे और लगभग 9 बजे हमारी ट्रेन गोवा के वास्को स्टेशन से झांसी के लिए रवाना होने वाली थी। उन्होंने हमें पुराने गोआ में घूमने को बोला।
समय बर्बाद किए बिना, हम सीधे सेंट बेसिलिका ( जो एक ऐतिहासिक इमारत है) के लिए बढ़े।
अपने जीवन में कभी भी मैंने ऐसी प्राकृतिक सुंदरता नहीं देखी। सीधी पतली एक रास्ता सड़क, जिसके परिधि में दोनों ओर ऊँचे नारियल के पेड़ लगे थे आकाश से प्रतिबिंबों को बहुत स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था।
सेंट बेसिलिका गोवा में एक पुराना चर्च है। यह अपनी भव्यता से अपना मुंह खुला का खुला रख देगा। मैंने तो इतना बड़ा चर्च अपने जीवनकाल में अब तक नहीं देखा था।
सड़क के दूसरी ओर, ठीक इसके सामने भारतीय पुरातत्व विभाग की एक ही आकार की इमारत भी देखी जा सकती है।
हम लोग पहली बार चर्च में होने वाली विवाह को देखा। चर्च की दीवारें मदर टेरेसा की बोली गई बातों से भरी हुई थीं।
यह चर्च विश्व धरोहर स्थलों में आता है।
वापस आते वक़्त एक जगह मनमोहक सूर्यास्त ने हमें रुककर उस पल का साक्षी होने पर मजबूत कर दिया।
वास्को स्टेशन पणजी से लगभग 40 किमी दूर है और इसलिए हम कोई जोखिम नहीं चाहते थे। इसलिए हम कुछ घंटे पहले ही स्टेशन पहुंच गए।
यह गोवा की हमारी छोटी यात्रा थी – वास्तव में उत्तरी गोवा। दक्षिण गोआ के लिए हम फ़िर जल्दी ही जाएंगे।
हमारी पहली गोआ यात्रा सफल रही।
आप अपनी गोवा यात्रा पर कब जा रहे है? हमे जरूर बताएं।
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