किसी भी घुमक्कड़ की भारत यात्रा बिना जयपुर घूमे पूर्णतया अधूरी है। अगर आपने राजस्थान की ठाठ बाठ, शानोशौकत और उनके अनोखे मेहमान नवाजी का लुत्फ नहीं उठाया तो बेशक आपकी भारत यात्रा अधूरी रह गई है। राजस्थान की राजधानी और पूरे विश्व में पिंक सिटी ( गुलाबी शहर) के नाम से मशहूर जयपुर, भारत से ही नहीं समूचे विश्व से पर्यटकों को आकर्षित करता है। जयपुर में घूमने की जगहें इतनी हैं कि आप मोहित हो जायेंगे।
इस लेख में मैं आपको जयपुर में घूमने की जगहें बताऊंगा, जिनको हर यात्री को जयपुर आते वक़्त अपनी सूची में अवश्य शामिल करना चाहिए। यकीन मानिए, ये वो जगहें है, जिन्हें घूमकर मैं भी अचंभित रह गया। और पूरे विश्वास के साथ मेरा मत है कि आप भी ऐसी जगहों पर कुछ अनोखा, अद्भुत महसूस करेंगे।
तो चलिए शुरू करते हैं।
नाम से ही यह महल अपनी पहचान बता रहा है। बिना किसी नींव और 950 से ज्यादा हर आकार के झरोखों वाला यह महल जयपुर की पहचान है। पर्दा प्रथा के प्रचलन के कारण शाही राजपूत महिलाएं बाहर की दैनिक हलचल को नहीं देख पाती थी। महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा इसका निर्माण 1799 में इसी उद्देश्य से बनवाया गया था की शाही महिलाएं प्रथा के पालन के साथ ही बाहरी हलचल का अवलोकन कर सकें। बाहर से देखने पर हवा महल भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट और मधुमक्खी के छत्ते जैसा प्रतीत होता है।
टिकट
खुलने का समय – सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक।
क्या करें
पता – हवा महल रोड, बड़ी चौपड़, निकट जेडीए बाजार, जयपुर।
हवा महल के समीप स्थित सिटी पैलेस का अपना अलग ही रुतबा है। राजपूत और मुगल शैली की वास्तुकला में निर्मित इस भवन ने मुझे अवाक कर दिया। छोटी से छोटी बारीकी से गई कलाकारी और तरह तरह के रंगों का क्रमबद्ध संयोजन हर किसी को आकर्षित करती है। मुख्यता विशेष अतिथियों के स्वागत सत्कार के लिए निर्मित इस महल का श्रेय, महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को जाता है।
वर्तमान में इसको एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है जहां हाथी दांत तलवारें, चेन हथियार, बंदुक, पिस्टल, तोपें, प्वाइजन टिप वाले ब्लेड और गन पाउडर के पाउच भी प्रर्दशन के लिए रखे गए हैं।
टिकट
खुलने का समय
प्रातः काल 10 से शाम 5 बजे तक।
शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक।
क्या करें –
पता – जलेब चौक, हवा महल के निकट, त्रिपोलिया बाजार, कांवर नगर, जयपुर।
इंडो गौथिक शैली में बना अल्बर्ट हॉल संग्रहालय राजस्थान का सबसे प्राचीन और बड़ा संग्रहालय है, जिसका निर्माण वेल्स के राजकुमार अल्बर्ट हॉल के स्वागत के लिए महाराजा रामसिंह ने करवाया था। बाद राजा के आज्ञा के बाद इसको सन् 1887 में संग्रहालय में परिवर्तित किया गया।
इसके अंदर धातु कला, मिट्टी के बर्तन, हथियार, कवच, संगमरमर कला, लघु चित्रों, आभूषणों, प्राचीन चांदी और तांबे के सिक्कों का संग्रह है।
इसके अतिरिक्त हाथी के दांत, कीमती पत्थर, रंगबिरंगे राजस्थानी परिधान, मूर्तियां, वाद्य यंत्र आदि भी मौजूद हैं। राजस्थानी संस्कृति की झलकियां और परंपराओं को यहां आप देख सकते है और महसूस कर सकते हैं।
टिकट
खुलने का समय
प्रातः काल 9 से शाम 5 बजे तक।
शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक।
क्या करें
पता – राम निवास बाग, अशोकनगर, जयपुर।
मुख्य शहर से 11 किमी की दूरी पर स्थित, विश्व विरासत की सूची में शामिल आमेर किला या अम्बर किला जयपुर का एक प्रमुख आकर्षण है। लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बने इस किले में चार मंजिले हैं। हर मंजिल पर अलग आंगन हैं। यह किला कलात्मक हिंदू राजपूत वास्तुशैली के लिए जाना जाता है।
इस किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल (दर्पण महल), जय मंदिर और सुख निवास शामिल हैं जहां किले में मौजूद पानी पर से होकर हवा जब अंदर आती है तो कृत्रिम रूप से ठंडा वातावरण बन जाता है। कभी यह राजपूतों की राजधानी हुआ करती थी। यह से एक सुरंग पास स्थित जयगढ़ किले से जुड़ा है।
टिकट
खुलने का समय
सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक।
क्या करें
आमेर किला का लाइट एंड साउंड शो एक ऐसी चीज़ जिसे आपको किसी भी हाल में देखना चाहिए। यह मात्र ₹300 में दो भाषाओं (हिंदी और अंग्रेजी) में होता है।
महीने | अंग्रेजी का समय | हिंदी का समय |
---|---|---|
अक्टूबर से फ़रवरी | शाम 6:30 | शाम 7:00 |
मार्च से अप्रैल | शाम 7:00 | शाम 7:30 |
मई से सितम्बर | शाम 7:30 | शाम 8:00 |
पता – देवीसिंह पुरा, आमेर, राजस्थान।
आपको यह जानकर हैरानी होगी की पहियों पर स्थित दुनिया की सबसे बड़ी पहिये पर तोप इसी किले के अंदर है। “जैवन तोप” के नाम से मशहूर यह तोप यहां का मुख्य आकर्षण है। 10 मीटर व्यास और 20 फीट के बैरल वाले इस तोप का वजन 50 टन है।
यह भी कहा जाता है कि जयगढ़ किला जयपुर का सबसे मजबूत किला है। चूंकि किसी भी राजा द्वारा इसपर फतह नहीं पाई जा सकी, इसलिए इसको अजेय किला बोला जाता है। जहां पर यह किला स्थित है उस स्थान को “चील का टीला” के नाम से जानते हैं।
टिकट
खुलने का समय –
प्रातः 9 बजे से शाम 4:30 तक।
क्या करें
पता – अम्बर किले के निकट देवीसिंह पुरा , आमेर, राजस्थान।
जयगढ़ के समीप ही एक और विशाल किला है जिसको नहरगढ़ के नाम से जानते हैं। इसका निर्माण भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया गया था। इस किले को “शेरों का निवास स्थान” बोला जाता है क्योंकि उस समय यह की पहाड़ियों पर शेरों का पाया जाना आम होता था।
नहरगढ़ किला 700 फीट की ऊंचाई पर है, जहां से शहर का मनमोहक दृश्य देखा सकता है। इस किले पर भी कभी आक्रमण नहीं हुआ। महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा इसका निर्माण सन् 1734 में करवाया गया था।
टिकट
खुलने का समय
प्रातः 10 बजे से शाम 5 बजे तक।
क्या करें
पता – कृष्णानगर, ब्रह्मपुरी, जयपुर, राजस्थान।
मैंने बचपन में कई बार मूवीज में जल महल देखकर सोचता था कि पानी के अंदर महल कैसे संभव है। पर मैंने जब इसको देखा तब आंखों पर यकीन हुआ। आमेर जाने वाले रास्ते में स्थित यह महल प्राकृतिक सुंदरता का रूप है। समय में यह महाराजाओं का कुछ समर रिजॉर्ट हुआ करता था, जहां राजा कुछ अच्छा समय बिताने आते थे।
परिवार के साथ शाम को वक़्त बिताने के लिए एक आदर्श स्थान है। इसके पीछे की पर्वतमाला और इसके समक्ष सड़क के किनारे लगने वाला छोटा सा बाजार, इसको और सुंदर स्वरूप प्रदान करता है। अगर आप पक्षी प्रेमी है तो फोटोग्राफी के लिए यह एक उत्तम स्थान है।
टिकट
कोई टिकट नहीं लगता है।
खुलने का समय
प्रातः काल 6 बजे से शाम 6 बजे तक।
क्या करें
पता – जल महल, आमेर रोड, जयपुर, राजस्थान।
तकरीबन शाम के 5 बजे मैं पहाड़ों के गोद में स्थित सिसोदिया गार्डन पहुंचा। हर तरफ से पहाड़ों से घिरा, हरियाली से लबरेज़ और इसका खुशनुमा और वहां के शीतल माहौल ने मेरे दिनभर के थकान को गायब कर दिया। मुझे याद है जब मैं बाग के बीचोबीच लगे कुर्सी पर विराजमान था और कानों में मधुर राजस्थानी गानों की ध्वनि प्रवेश कर रही थी। वाकई में एक मधुर शाम थी।
शहर से 10 किमी दूर आगरा जयपुर राजमार्ग के समीप स्थित इस बाग निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह जी द्वारा अपनी रानी के लिए करवाया गया था। कहा जाता है कि रानी यहां अपनी सहेलियों के साथ कुछ अनमोल पल व्यतीत करती थी।
टिकट
खुलने का समय
प्रातः 8 बजे से शाम 6 बजे तक।
क्या करें
पता – 11, लाल डूंगरी, जयपुर, राजस्थान।
हमारी दिन का अंत भगवान के दर्शन के साथ हुआ।
सिसोदिया रानी बाग से आते समय रास्ते में इसके भी दर्शन प्राप्त हो गए। गुलाबी शहर में सफेद संगमरमर से निर्मित इस मंदिर ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया। बिरला मंदिर को लक्ष्मी नायायण मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यह मंदिर भगवान विष्णु (नारायण) उनकी पत्नी धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित है।
आज जयपुर में जिस जगह पर बिरला मंदिर स्थित है उस जगह को जयपुर में महाराज द्वारा एक रूपये की टोकन राशी के रूप में बिरला को दे दी थी। जयपुर का बिरला मंदिर अपनी बारीक नक्काशी और बारीकी से किये गए वर्क के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले पर्यटक इस मंदिर की खूबसूरती को देखकर मोहित हो जाते हैं।
टिकट
कोई शुल्क नहीं।
दर्शन करने का समय
प्रातः काल 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक।
दोपहर 3 बजे से रात्रि 9 बजे तक।
क्या करें
पता – तिलक नगर, जयपुर, राजस्थान।
अरावली की पहाड़ियों से घिरा यह मंदिर गुलाबी पत्थरों से बना है। कहा जाता है कि संत गालव ने यहां 100 साल तक तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर उनको वरदान मिला कि यह स्थान पूजनीय होगा। इसके कुंड के जल को पवित्र माना जाता है।
10 एकड़ में फैला यह लग्ज़री विरासत रिजॉर्ट आपको राजस्थानी गावं की संस्कृति का अनुभव कराता है। यहाँ के भोजन, कपड़े, जीवन शैली, कलाकृतियाँ, शिल्प, चित्रकारी, मूर्तियां, लोकगीत, विभिन्न नृत्य, गायन और कई अन्य पारंपरिक पहलु चोखी ढाणी को बेहद खास बनाते हैं।
अगर आप कुछ स्थानीय कलाकारी वाली वस्तुएं निशानी के तौर पर साथ ले जाना चाहते है तो त्रिपोलिया, जौहरी और बापू बाजार जरूर जाएं।
हवा महल, आमेर किला, जयगढ़ किला, नहरगढ़ किला, जल महल, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय, सिसोदिया रानी का बाग, जंतर मंतर आदि प्रमुख जगहें हैं।
चूंकि जयपुर एक गर्म इलाका है, अतः मैं सलाह दूंगा की सर्दी के मौसम में प्लान बनाएं।
जब भी जयपुर जाएं, कम से कम 3 दिन का प्लान अवश्य बनाएं। शहर में बहुत कुछ घूमने और अनुभव करने के लिए है।
सुरक्षा की बात हो तो राजस्थान घूमना पूर्णतया सुरक्षित है। आप रात में भी कहीं बिना किसी संकोच के भ्रमण कर सकते हैं।
जयपुर सड़क, रेल और हवाई मार्ग द्वारा भलीभांति जुड़ा हुआ है। आप देश और विदेश के किसी भी कोने आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।
राजस्थान एक गर्म प्रदेश है, इसलिए मैं अपनी सर्दी के मौसम में जाने की सलाह दूंगा। वैसे तो यहां साल भर जाया जा सकता है।
देश की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 270 किमी और आगरा से दूरी 237 किमी है। प्राइवेट बस के अलावा राज्य परिवहन निगम की बस भी लगातार अंतराल पर संचालित होती है।
मशहूर पर्यटन केंद्र होने के कारण जयपुर देश के सभी कोनों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। जयपुर में तीन मुख्य स्टेशन है – गांधीनगर, दुर्गापुरा और जयपुर जंक्शन।
“पैलेस ओंन व्हील्स” नाम की एक शाही ट्रेन भी दिल्ली से चलती है, जो एक सप्ताह में राजस्थान के मुख्य जगहों का सैर कराती है। यह ट्रेन जयपुर, सवाई माधोपुर, चितौड़गढ़, उदयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, भरतपुर और आगरा जैसे शहरों को जोड़ती है।
जयपुर का संगनेर हवाई अड्डा जहां से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ाने होती है, मुख्य शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यह देश विदेश के तमाम शहरों से भली भांति जुड़ा हुआ है।
जयपुर शहर में रहने की समस्या कभी नहीं होती है। आप यहां सबसे सस्ते और सबसे अच्छे विकल्प पा सकते हैं। हालाँकि, ध्यान दें कि पीक सीज़न जैसे कि नए साल, दिवाली, आदि में कीमतों में बढ़ोतरी होती है। इसलिए आपके आने से पहले बुकिंग करने की कोशिश करें।
यदि आप एक एकल यात्री या बैकपैकर हैं, तो आपको होटलों से अधिक हॉस्टल पसंद हो सकते हैं। जयपुर में देश की कुछ बेहतरीन हॉस्टल चेन भी संचालित हैं। इन सबसे ऊपर, हम ज़ॉस्टल जयपुर को बुक करने की सलाह देते हैं क्योंकि ज़ॉस्टल ने हमें यात्रा के हमारे करियर में कभी निराश नहीं किया।
इस बार मैंने कुछ अलग करने की कोशिश की। जैसा कि ज़ॉस्टल पहले से ही पूरा बुक हो गया था, इसलिए मैंने जयपुर में एक दूसरा हॉस्टल बुक किया । मेरे आश्चर्य के लिए, मैंने जो हॉस्टल बुक किया था, वह मेरी उम्मीदों से अधिक था। इन तस्वीरों को देखें:
हम जयपुर में चिलआउट हॉस्टल में रहे और सभी तस्वीरें इस हॉस्टल की हैं। हमने साझा कमरों का विकल्प चुना और इसमें उन्होंने हमें बड़े राजस्थानी स्टाइल वाले खाट दिए।
जयपुर शहर का भ्रमण करते समय जो मैंने स्वयं महसूस किया, उसका वर्णन शब्दों में करना बड़ा कठिन है। अनेक यादें और अनुभव मैंने संचय करके रखा है। आप अपने जीवनकाल में एक बार राजस्थान जरूर जाएं। यकीन मानिए यहां की संस्कृति, मेहमाननवाजी, शानोशौकत और संजो कर रखी गई विरासत आपको यहां दुबारा आने पर विवश कर देंगी। मैंने भी यात्रा में कई जगहों का अनुभव नहीं कर पाया। यहां के तो कण कण में संस्कृति विराजमान है।
एक अपील – कृपया कूड़े को इधर-उधर न फेंके। डस्टबिन का उपयोग करें और यदि आपको डस्टबिन नहीं मिल रहा है, तो कचरे को अपने साथ ले जाएं और जहां कूड़ेदान दिखाई दे, वहां फेंक दें। आपकी छोटी सी पहल भारत को स्वच्छ और हरा-भरा बना सकता है।
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