क्या आपको पता है कि जैसलमेर के निकट स्थित कुलधरा गाँव एक शापित और रहस्यमयी गाँव है जो भारत के सबसे डरावनी जगहों में से एक है।
आपने भले ही पहाड़ों और समुद्र के किनारों का मज़ा लिया होगा, पर सोचिए की रेगिस्तान में टिमटिमाते तारों के बीच रात बिताना कैसा होगा!
यह सब अनुभव आप राजस्थान के जैसलमेर में बखूबी कर सकते हैं। थार रेगिस्तान के बीचोबीच बसा जैसलमेर एक मनोरम शहर है जो अपने शानदार किलों, सुनहरी रेत के टीलों, जटिल नक्काशी वाली हवेलियों और जीवंत संस्कृति के साथ के लिए प्रसिद्द है।
यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसको ऐतिहासिक जगहों की सैर करना अच्छा लगता है, तो जैसलमेर आपके लिए एक उपयुक्त स्थान है।
इस यात्रा गाइड में, हम आपको जैसलमेर के एक आभासी यात्रा पर ले जाएंगे। इसके साथ-साथ यह भी बताएंगे कि आप यहां कैसे पहुंचें, कहां रुकें, कब जाएं, क्या खाएं, क्या खरीदें आदि।
नोट: इस पोस्ट में कुछ लिंक हो सकते हैं जो आपके द्वारा खरीदारी या कोई आरक्षण करने पर हमें वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते हैं। वे किसी भी तरह से हमारी राय या यहां दी गई जानकारी को प्रभावित नहीं करते हैं।
जयपुर से जैसलमेर की दूरी 560 किमी या 348 मील है।
जैसलमेर भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिससे आपके लिए यहाँ पहुंचना काफी आसान है। यहाँ तक पहुँचने के कई रास्ते हैं, जिनमे कुछ आम विकल्पों में शामिल हैं:
जैसलमेर का अपना हवाई अड्डा है, जिसे जैसलमेर सिविल एयरपोर्ट (JSA) के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि, अब इस हवाई अड्डे की कनेक्टिविटी सीमित है, और केवल कुछ घरेलू फ्लाइट्स संचालित होती हैं। यह फ्लाइट्स इसे दिल्ली, जयपुर और मुंबई जैसे शहरों से जोड़ती हैं।
नोट: यह फ्लाइट्स अब घूमने वाले महीनों (अक्टूबर से मार्च) में ही संचालित होती हैं।
इसके अलावा जोधपुर (280 किमी), और जयपुर (550 किमी) दो अन्य निकटतम एयरपोर्ट हैं, जहाँ से आप जैसलमेर पहुँच सकते हैं।
स्मार्ट सुझाव: जोधपुर या जयपुर की फ्लाइट देखें
जैसलमेर रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहाँ आने-जाने के लिए देश के कोने कोने से कई ट्रेनें चलती हैं। आप भारत से किसी भी शहर से यहाँ रेल द्वारा आसानी से आ सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन जैसलमेर रेलवे स्टेशन (JSM) है, जो शहर के बीच स्थित है।
यदि आप सड़क यात्रा का चुनाव करते हैं, तो आपको बता दें कि जैसलमेर तक राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा पहुँचा जा सकता है।
जयपुर से आप NH62 मार्ग ले सकते हैं, जो अजमेर, और जोधपुर जैसे शहरों से होकर गुजरता है। इसके अलावा आप खुद भी ड्राइव करके जैसलमेर भी जा सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि यात्रा लम्बी हो सकती हैं।
आपने तमाम किले देखे होंगे जो अब मात्र टूरिस्टों के लिए खुले हैं, लेकिन आपको बता दें की यह किला भारत का एकलौता जीवंत किला है जहाँ लोग रहते हैं।
यह थार रेगिस्तान की सुनहरी रेत के बीच स्थित है जिसे सोनार किला या स्वर्ण किले के रूप में भी जाना जाता है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल है और शहर के समृद्ध इतिहास और वास्तुकला की प्रतिभा को प्रदर्शित करता है।
12वीं सदी में बना यह किला राजपूत और इस्लामी स्थापत्य शैली का अनूठा मिश्रण है। जैसे ही आप किले की विशाल दीवारों के अंदर कदम रखते हैं, आप खुद को पुराने समय में वापस ले जाते हुए पाएंगे।
तो आप सोच रहे होंगे कि यहाँ आपके लिए के है? चलिए बताते है:
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मंत्रमुग्ध कर देने वाले सैम सैंड ड्यून्स का अनुभव किए बिना जैसलमेर की आपकी यात्रा अधूरी है। शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, ये सुनहरे रेत के टीले एक असली रेगिस्तान का अनुभव कराते हैं।
इसका अनुभव करना हमारे ट्रिप का एक बेहतरीन और यादगार पल था। सैम सैंड ड्यून्स में करने के लिए यहां कुछ रोमांचक चीजें नीचें हैं; हमने इसे स्वयं अनुभव किया है:
रेगिस्तान ले अलावा एक अन्य चीज़ जो आपको आकर्षित करेंगी, वो है यहाँ की हवेलियां। इनमे सबसे सुसज्जित और आकर्षक पटवों की हवेली है।
जैसलमेर किले के निकट स्थित पटवों की हवेली पांच हवेलियों का संग्रह है जो बीते युग की भव्यता और ऐश्वर्य का प्रतीक है। 18वीं और 19वीं सदी में एक धनी व्यापारी परिवार ने बलुआ पत्थर से बनी इन जटिल नक्काशीदार हवेलियों का निर्माण किया था।
पटवों की हवेली घूमना आपको समय में पीछे ले जाता हैं और जैसलमेर की वास्तुकला के चमत्कार और सांस्कृतिक विरासत की सराहना करने का अवसर प्रदान करता है।
इन हवेलियों के सामने के अग्रभाग बारीक नक्काशीदार बालकनियों, झरोखों (छज्जे की खिड़कियां), अलंकृत स्तंभों और विस्तृत रूपांकनों से सुशोभित हैं। इसके निर्माण में इस्तेमाल किया गया पीला बलुआ पत्थर हवेलियों को एक अलग सुनहरा रंग देता है
कुल मिलाकर हवेलियों के जटिल डिजाइन, ऐतिहासिक महत्व और अद्वितीय माहौल इसे जैसलमेर में घूमे जाने वाले मुख्य स्थानों में से एक बनाते हैं।
आप सोच रहे होंगे कि रेगिस्तान में झील की उत्पत्ति कैसे हो गयी? चलिए आपको विस्तार से बताते हैं। 14वीं शताब्दी में निर्मित, गडीसर झील एक मानव निर्मित झील है जो शहर का एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है।
मंदिरों, घाटों और स्मारकों से घिरी झील, हलचल भरे शहर से अलग एक शांत वातावरण प्रदान करती है। आप यहाँ बोटिंग करते हुए सुरम्य परिवेश में खुद को डुबो सकते हैं।
इसके अलावा झील के किनारे अलंकृत छत्रियों (मकबरे) पर जाएं, जो शहर के पूर्व शासकों और उनके परिवारों को समर्पित हैं। आसपास फ़ास्ट फ़ूड और नाश्ते के अनेक विकल्प हैं। साथ ही “आई लव जैसलमेर” की आकृति के सामने फोटो लेना ना भूलें।
वैसे यह झील सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान विशेष रूप से सुंदर होती है। जब सुनहरी किरणें शांत पानी पर प्रतिबिंबित होती हैं, जिससे एक सम्मोहक वातावरण बनता है। मैं तो खुद को इस झील की तस्वीरें लेने से नहीं रोक पाया और अलग-अलग कोण से तस्वीरें ली।
हमारी जैसलमेर में घूमने वाली जगहों में सलीम सिंह की हवेली एक अन्य हवेली है। पटवों की हवेली से पैदल चलते हुए हम यहाँ पहुचें।
यह हवेली एक अद्वितीय वास्तुशिल्प चमत्कार है जो राजस्थानी शिल्प कौशल की सरलता और रचनात्मकता को दर्शाता है। 18वीं शताब्दी के अंत में जैसलमेर के प्रधान मंत्री द्वारा निर्मित, यह हवेली अपनी विशिष्ट मोर के आकार की छत और उत्तम नक्काशी के साथ सबसे अलग है।
आप खुद को सुंदर मेहराबों, अलंकृत बालकनियों और जटिल रूप से डिज़ाइन किए गए कमरों की प्रशंसा करने से नहीं रोक पाएंगे। हवेली शहर के मनोरम दृश्य भी प्रस्तुत करती है, जो इसकी स्थापत्य कला की झलक प्रदान करती है।
यहाँ एक गाइड भी हैं जो बिना किसी शुल्क के आपको हवेली की बारीकियों और प्राचीनतम इतिहास से परिचय करवाते हैं। मेरी मुलाकात हवेली के वर्तमान मालिक से हुई जो जैसलमेर के प्रधान मंत्री के वंश के थे उन्होंने हमें कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दी।
जैसलमेर शहर से लगभग 6 किलोमीटर उत्तर में स्थित, बड़ा बाग महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है। यह स्थल पीले बलुआ पत्थर से बने शानदार स्मारकों के संग्रह से सुशोभित है, जिसे छत्रियों के रूप में जाना जाता है।
डूबते सूरज की पृष्ठभूमि में पीले बलुआ पत्थर की कब्रों का संयोजन एक सम्मोहक दृश्य बनाता है। इसकी स्थापत्य सुंदरता और सुरम्य परिवेश इसे फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक पसंदीदा स्थान बनाते हैं। दिन के अलग-अलग समय में प्रकाश और छाया का मेल इसके फोटोग्राफिक आकर्षण को बढ़ाता है।
कुलधरा, जिसे अक्सर “घोस्ट विलेज” के रूप में जाना जाता है, एक सुनसान डरावना गांव है। यह शहर से लगभग 18 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।
स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में तत्कालीन शासक द्वारा उत्पीड़न और शोषण के डर से, ग्रामीणों ने छोड़ने से पहले भूमि को श्राप दिया कि कोई भी वहां फिर से बस न सके।
गांव तब से निर्जन बना हुआ है, जो प्रेतवाधित और रहस्यमयी गतिविधियों की कहानियों को जन्म देता है। घरों के अवशेष, खाली सड़कें, और वीरानी की भावना कुलधरा को आगंतुकों के लिए एक भयानक लेकिन मनोरम गंतव्य बनाती है।
जैसलमेर के पकवान उतने ही जीवंत है जितनी इसकी सांस्कृतिक विरासत। राजस्थानी व्यंजनों के स्वाद का आनंद अवश्य लें, जो अपने समृद्ध और सुगंधित जायके के लिए जाना जाता है।
प्रसिद्ध दाल बाटी चूरमा, दाल, पके हुए गेहूँ के गोले, और मीठे गेहूँ के आटे का एक पौष्टिक संयोजन लेना न भूलें। केर सांगरी (सूखे जामुन और बीन्स से बनी एक राजस्थानी विशेषता) और लाल मास (मसालेदार लाल मांस करी) जैसे स्वादिष्ट व्यंजन स्थानीय स्वादों की झलक प्रदान करते हैं।
घेवर एक अन्य स्थानीय पारंपरिक राजस्थानी मिठाई है जिसे आटे, चीनी की चाशनी और घी से बनाया जाता है। आप राजस्थानी व्यंजनों के बारे में जानने के लिए स्थानीय रेस्तरां, स्ट्रीट फूड स्टॉल पर इन व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं।
जैसलमेर शॉपिंग करने वालों के लिए स्वर्ग है, जो स्मृति चिन्ह और पारंपरिक हस्तशिल्प के अनेक विकल्प पेश करता है।
सदर बाज़ार और भाटिया बाज़ार जैसे चहल-पहल वाले बाज़ारों का अन्वेषण करें। यहाँ आपको ढेर सारे वस्त्र, कढ़ाई वाले कपड़े, रंगीन पगड़ियाँ, ऊँट के चमड़े के उत्पाद, चाँदी के गहने और पारंपरिक राजस्थानी कठपुतलियाँ मिलेंगी।
यह शहर अपने कुशल कारीगरों के लिए प्रसिद्ध है, जो जटिल दर्पण का काम, कढ़ाई और ब्लॉक-मुद्रित वस्त्र बनाते हैं। सबसे अच्छा सौदा पाने के लिए मोलभाव अवश्य करें और जैसलमेर की जीवंत संस्कृति का एक हिस्सा घर ले जाना न भूलें।
जैसलमेर प्रत्येक यात्री की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए अनेक आवास विकल्प प्रदान करता है।
एक शानदार अनुभव चाहने वालों के लिए, पुराने महलों और हवेलियों से परिवर्तित हेरिटेज होटल और रिसॉर्ट हैं, जो भव्य कमरे, विश्व स्तरीय सुविधाएं और शाही अतीत की झलक पेश करते हैं।
मध्यम श्रेणी के होटल और गेस्टहाउस आधुनिक सुविधाओं के साथ आरामदायक आवास प्रदान करते हैं। बजट यात्रियों को गेस्टहाउस, हॉस्टल और होमस्टे में किफायती आवास मिल सकते हैं जो एक आरामदायक और स्वागत करने वाला वातावरण प्रदान करते हैं।
एक अनोखे अनुभव के लिए, रेगिस्तान के कैम्प्स में रहने पर विचार करें, जहाँ आप सितारों से भरे रेगिस्तानी आकाश के नीचे सो सकते हैं और पारंपरिक राजस्थानी मेहमाननवाज़ी का आनंद ले सकते हैं।
जैसलमेर की अपनी यात्रा का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए, निम्नलिखित सुझावों पर विचार करें:
जैसलमेर में कुछ मुख्य स्थान आप या तो पैदल ही घूम सकते है, या टैक्सी/कैब बुक कर सकते हैं। इनमे जैसलमेर का किला, पटवों की हवेली, गडीसर झील, सलीम सिंह की हवेली शामिल है।
इसके अलावा बड़ा बाग, डेजर्ट सफारी, कुलधरा आदि के लिए आपको टैक्सी बुक करना पड़ेगा, क्योंकि ये शहर के बाहर स्थित हैं।
जैसलमेर रेलवे स्टेशन को केंद्र मानते हुए इन आकर्षणों की दूरी का विवरण यहां दिया गया है:
जगह का नाम | जैसलमेर रेलवे स्टेशन से दूरी |
जैसलमेर किला | 1.5 किमी (0.93 मील) |
सैम सैंड ड्यून्स | 42 किमी (26.1 मील) |
पटवों की हवेली | 1.8 किमी (1.12 मील) |
गडीसर झील | 1.4 किमी (0.87 मील) |
सलीम सिंह की हवेली | 1.4 किमी (0.87 मील) |
बड़ा बाग | 14 किमी (8.7 मील) |
कुलधरा | 35 किमी (21.75 मील) |
जैसलमेर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान नवंबर से फरवरी तक है। इन महीनों में, दिन के दौरान जैसलमेर का तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस (50 से 77 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक होता है। हालाँकि शाम को वातावरण ठंडा हो सकता है।
सर्दियों के दौरान यात्रा करने से आप जैसलमेर में आयोजित होने वाले विभिन्न त्योहारों और कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं। फरवरी में मनाया जाने वाला डेजर्ट फेस्टिवल सांस्कृतिक प्रदर्शन, ऊंट दौड़ और अन्य पारंपरिक गतिविधियों के साथ एक प्रमुख आकर्षण है।
यह ध्यान देने योग्य है कि जैसलमेर गर्मी के महीनों (मार्च से जून तक) में अत्यधिक उच्च तापमान का अनुभव करता है। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री फ़ारेनहाइट) से ऊपर बढ़ जाता है। इसलिए गर्मियों में जाने से बचें।
मानसून का मौसम, जुलाई से सितंबर तक, गर्मी से कुछ राहत लाता है, लेकिन अप्रत्याशित वर्षा भी हो सकती है, जो आपकी यात्रा की योजना में बाधा बन सकती है।
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप जैसलमेर में क्या देखना और करना चाहते हैं। यदि आप केवल मुख्य आकर्षणों पर जाना चाहते हैं, तो 2 दिन पर्याप्त होंगे।
यदि आप बड़ा बाग, डेजर्ट सफारी, कुलधरा, और स्थानीय संस्कृति का अनुभव करने जैसी और गतिविधियों में भाग लेना चाहते हैं, तो आप 3-4 दिनों के लिए ठहरने की योजना बना सकते हैं।
सभी के लिए बजट अलग-अलग हो सकता है। यह प्रायः इस बात पर निर्भर करता है कि आप कौन सा होटल लेते है, क्या खाते-पीते है और क्या खरीददारी करते हैं। फिर भी एक सामान्य बजट निम्नवत है:
नोट: इसमें डेजर्ट सफारी शामिल नहीं हैं। इसके लिए आपको ₹1000-5000 तक देना पड़ सकता है।
जैसलमेर में घूमने की घूमने की जगहों में जैसलमेर का किला (जिसे सोनार किला भी कहा जाता है), पटवों की हवेली, सैम सैंड ड्यून्स, गडीसर झील, बड़ा बाग और जैन मंदिर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, थार रेगिस्तान में ऊंट सफारी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।
जैसलमेर की यात्रा का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान अक्टूबर से मार्च तक होता है। इस समय मौसम सुहावना होता है और शहर के आकर्षणों की खोज के लिए उपयुक्त होता है।
जैसलमेर आमतौर पर पर्यटकों के लिए एक सुरक्षित शहर माना जाता है। हालाँकि, हमेशा आवश्यक सावधानी बरतने और सामान्य सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है, जैसे कि अपने आस-पास के बारे में जागरूक रहना, रात में सुनसान जगहों से बचना और अपने सामान को सुरक्षित रखना आदि।
जैसलमेर को अक्सर इसके सुनहरे रंग के बलुआ पत्थर की वास्तुकला और शहर के आसपास के सुनहरे रेगिस्तान के कारण “गोल्डन सिटी” कहा जाता है। यहाँ बने सभी घर और अन्य इमारते सुनहरे बलुआ पत्थर से निर्मित हैं।
तो ये थी जैसलमेर में घूमने की जगहें पर हमारा लेख। जैसलमेर, अपने वास्तुशिल्प चमत्कारों, सुनहरे परिदृश्य, समृद्ध विरासत और मेहमाननवाज़ी के लिए देश में ही नहीं पूरे संसार में मशहूर है।
चाहे आप शानदार किलों का पता लगाएं, रोमांचकारी रेगिस्तान के रोमांच में लिप्त हों, सांस्कृतिक विरासतों में डूब जाएं, या बस राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद चखें, जैसलमेर आपके दिल पर एक अमिट छाप छोड़ेगा।
तो अपना बैग पैक कीजिये, और इस अविश्वसनीय यात्रा पर निकल पड़िए।
उम्मीद है इसमें दार्जिलिंग से जुड़ी हर एक छोटी से छोटी जानकारी को साझा करने में सफल रहे हैं।
फिर भी यदि आपके कोई सुझाव या सवाल हैं, तो आप बेझिझक नीचे कमेंट बॉक्स में अपने विचार व्यक्त करें। हम आपके सुझावों से खुद को और बेहतर बनाने का प्रयत्न करेंगे।
एक अपील: कृपया कूड़े को इधर-उधर न फेंके। डस्टबिन का उपयोग करें और यदि आपको डस्टबिन नहीं मिल रहा है, तो कचरे को अपने साथ ले जाएं और जहां कूड़ेदान दिखाई दे, वहां फेंक दें। आपकी छोटी सी पहल भारत और दुनिया को स्वच्छ और हरा-भरा बना सकता है।
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