भारत

चलिए मेरी नज़र से मैसूर महल घूमनें (आभासी यात्रा)

कर्नाटक राज्य का मैसूर शहर सिर्फ कर्नाटक का ही नहीं बल्कि पूरे देश की शान है, यह प्राचीन वैदिक काल से लेकर मुगल शासन काल तक एक केन्द्र बिंदु रहा। और तो और इसको कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी भी बोलते है। जो इमारत मैसूर में सबसे ज्यादा प्रचलित और पर्यटकों द्वारा घूमा जाता है, वो है मैसूर महल।

मैं, एक घुमक्कड़ के तौर पर मुख्यतः पहाड़ों को ही तवज्जों देता था और अगर घूमने की योजना बनती तो पहाड़ ही सूची में सबसे ऊपर होता था।

काफ़ी यात्रा लेखकों के मुख से दक्षिण भारत की खूबसूरती के बारे में सुना था और जब फोटो देखा तो इसने मेरे उत्सुकता में और भी वृद्धि कर दी।

और फलस्वरूप अप्रैल 2019 में कर्नाटक यात्रा की एकल (सोलो ट्रिप) योजना बनाई। फिर जब मैंने खुद इस अद्भुत महल का गवाह बना, तब इसके महत्व को समझ पाया।

अभी तो हम एक महामारी कोविड – 19 से जूझ रहे है, जो अब अपने चरम सीमा पर पहुंच रहा है, स्थति दिन पर दिन भयावह रूप लेती जा रही है, और इस माहौल में घूमना तो सख्त वर्जित है।

स्थति कितनी भी खराब हो, पर यह वक़्त भी जल्दी ही बीत जाएगा और चीज़े सामान्य हो जाएंगी। मझे ज्ञात है कि मेरी तरह आप भी एक सुलझे हुए घुमक्कड़ है और यात्रा करना आपके लिए सांस लेने जैसा है, पर अभी तो किसी भी हालात में किसी भी प्रकार की यात्रा संभव नहीं है। 

अतः आपके यात्रा की उत्सुकता और पागलपन को शांत करने के लिए मैं कर्नाटक के मैसूर जिले में स्थित मैसूर महल की आभासी यात्रा के साथ आया हूं। तो साहब अब बिना वक़्त गवाएं चलिए मेरे साथ एक अद्भुत यात्रा पर।



आभासी यात्रा – ध्यान रखने योग्य बातें

मैसूर महल के भ्रमण से पूर्व आपको कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना होगा, जो निम्नलिखित हैं।

  • अप्रैल का महीना है और कड़कड़ाती धूप है, और समय लगभग दोपहर का है।
  • आसमान बिल्कुल साफ है और एक तेज़ धूप वाला दिन है।
  • हम लोग मैसूर में है – कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी, जो बंगलौर से कुछ घंटे की दूरी पर है।
  • यह भारत के सबसे ज्यादा घूमे जाने वाले महलों में से एक है।

इस आभासी यात्रा से आपकी उम्मीदें

मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह एक सामान्य यात्रा की तरह नहीं है, और अगर आप ऊपर दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए यह लेख पढ़ते है, तो यकीन मानिए आप एक चमत्कार सा महसूस करेंगे और यह आपको एक जीवंत यात्रा की तरह प्रतीत होगी। कुल मिलाकर एक सार्थक अनुभव।

कृपया इन बातों पर भी गौर करिए –

  • आप और मैं अच्छे मित्र हैं और चूंकि मैं पहले घूम चुका हूं तो आप मुझे अपने मार्गदर्शक ( टूर गाइड) भी बोल सकते हैं।
  • यहां दिखाया गया सब कुछ कालानुक्रमिक क्रम में है।
  • चूंकि यह एक आभासी यात्रा है, तो फोटोज पर विशेषकर ध्यान केंद्रित करें।

तो चलने को तैयार ना? क्या? आपने हां बोला।

तो चलिए जनाब, देर किस बात का।

मैसूर महल तक पहुंचना

हमने पहले ही चामुंडेश्वरी मंदिर और रंगनाथ स्वामी मंदिर को घूम लिया है और अब दोपहर के लगभग 1 बज रहे है। हम लोग स्थानीय बस स्टैंड पर ठंडी लस्सी और गरमागरम चाट का मज़ा ले रहे हैं, तभी आपने पूछा कि अब क्या किया जाए। 

मैं झट से बोल उठा कि भव्य मैसूर महल भी इसी शहर का हिस्सा है और देश क्या विदेश से भी लोग इस महल की बनावट और भव्यता को निहारने आते हैं। आपने तुरंत हामी भर दी।

गूगल मैप्स को थोड़ा खंगालने पर पता चला कि महल मात्रा 150-200 की दूरी पर स्थित है, इसने तो हमारी रगों में पेट्रोल के फैलने जैसा काम किया। मेरे कैब या रिक्सॉ लेने की बात करने पर आप बोले कि इतनी भी क्या दूर है भाई जो किसी प्रकार के वाहन की आवश्यकता है।

हम पैदल ही चल पड़ते हैं और आसपास की दैनिक घटनाओं पर भी नजर दौड़ाते हैं। एक मोटी सड़क के किनारे एक मोची चप्पल की मरम्मत कर रहा है, तभी आप इशारा करते हैं कि वो देखो वो छोटी बच्ची गुब्बरेवाले से गुब्बारा कितनी उत्सुकता और आंखो में चमक के साथ खरीद रही है। मेरी भी एक प्यारी सी हसी फूट पड़ी।

“वो देखिए उधर है प्रवेश द्वार।” आप बोलते हैं, जैसे आपको प्रवेश द्वार दूर से दिखता है। मन में उत्सुकता के बादल और हिलोरे मारने लगते हैं, पैरों में जैसे अतिरिक्त ऊर्जा आ गई हो। झट से द्वार स्थित टिकट खिड़की से टिकट लेते हुए अंदर की ओर अग्रसर होते हैं।

देखिए, वाकई महल का द्वार बड़ा है।

चंद कदम चलने पर बाई तरफ द्रविड़ियन शैली में बना एक मंदिर स्थापित है, आप भी इसकी मनमोहकता में विलीन हो जाते है। यह कोडी भैरवस्वामी मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। देखिए इसकी सुंदरता को।

तभी दूर से महल की एक धुंधली तस्वीर आंखों में पड़ती है। इतना बड़ा परिसर, इससे अंदाजा लगाइए राजाओं के शानोशौकत के बारे में।

चंद कदम ही बढ़ने पर आप और मैं महल के बिल्कुल सामने आ गए हैं, यहां से तो महल और भी भव्य और आकर्षक दिख रहा है, आप स्वयं ही देखिए।

मेरे मन में वो लाल गुंबद को पास से देखने की इच्छा जाहिर हुई, आप भी खुद को रोक नहीं पाए। यहां देखिए, महल की आकृति को और भी करीब से।

एक महल रक्षक हमें बोलते है कि इस तरफ से जाइए और उनके बताए हुए राह पर हम बढ़ते है तो पाते हैं कि एक जगह पंक्ति में लोग खड़े है और 3-4 काउंटर है। 

“अच्छा तो यहां चप्पल जूते जमा करने होते है!” आप बुदबुदाते हैं। हमने अपने चप्पलों को जमा किए और टिकट लिए। फिर प्रवेश करते ही आपका ध्यान दीवारों और छतों की ओर पड़ता है।

“कितना अत्यंत मनमोहक और बारीकी से की गई नक्काशी है ना! कितना वक़्त और श्रम लगा होगा इसकी बनावट में।” आप बोलते है।

आपको बता दूं कि अब हम दरबार हॉल में प्रवेश कर रहे है, देखिए यहां की दीवारों को। यह इस कदर बना है कि सामने का खुला मैदान साफ दिखे। महाराज यहां आम जनता के लिए दरबार लगते थे और कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति को देखते थे। 

देखिए इसकी भव्यता को और महसूस कीजिए कि उस समय कैसा होता होगा सब कुछ।

“अरे भाई इधर भी कुछ है।” आप इशारा करते हैं, और हम एक गैलरी में पहुंचते हैं जहां राजघरानों के मुख्य व्यक्तियों और कुछ अंग्रेजों की पेंटिंग्स है। कितनी जीवंत लगती हैं ना ये पेंटिंग्स!

अगला हिस्सा कल्याण मंडप है। आपने पूछा इसका क्या महत्व है? कल्याण मतलब विवाह, यह वह स्थान है जहां राजघरानों की शादियां, जन्मदिवस और अन्य उत्सव मनाए जाते थे। आप स्वयं निहारिए इसकी भव्यता को।

मैंने देखा कि एक कमरे में लोगों के जाने की होड़ मची हुई है, हम भी पीछे क्यों रहे। चलिए देखते है कि क्या है? सिंहासन और कुछ कुर्सियों। अरे भाई ये कुर्सियां मात्र नहीं है, ये शाही राजघरानों की कुर्सियां और सिंहासन है। पास ही कृष्णराज वॉडेयार की एक प्रतिमा भी है जो जीवंत सी लग रही है। देखिए ना। 

और अब आ गया है, इसका मुख्य भाग जहां आप जनता को जाने की इजाज़त नहीं है। फिर भी आप दूर से ही इसको देखिए। यहां राजा अपने मुख्य सलाहकारों से चर्चा किया करते थे।


कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • हर दिन शाम के समय महल को रोशनी से रोशन किया जाता है, यह जगमगाते हुए अत्यंत सुंदर लगता है।
  • पानी की एक बोतल साथ रखें क्योंकि आपको बहुत चलना पड़ेगा।
  • हल्के कपड़े पहने और कम से कम 2-3 घंटे अवश्य बिताए।
  • हर एक चीज का बारीकी से निरीक्षण और अध्ययन करें।

थोड़ा इतिहास जानते हैं:

यह इमारत वाडियार राजवंश का निवास स्थान हुआ करता था, जिन्होंने 1399 से 1950 तक शासन किया था। एक तरह से यह महल एक गढ़ माना जाता था।

यद्यपि मूल महल 14 वीं शताब्दी में बनाया गया था, लेकिन वह इमारत 1912 में समाप्त हो गई थी। इससे पूर्व का महल चंदन की लकड़ी से बना था जो एक दुर्घटना में बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ। इससे महल को बहुत नुकसान हुआ।

1897 में लकड़ी के महल को आग से नष्ट कर दिया गया था, जब महामहिम राजर्षि कृष्णराज वाडियार चतुर्थ की सबसे बड़ी बहन, राजकुमारी जयलक्ष्मी अमानी का विवाह समारोह हो रहा था। उस वर्ष खुद मैसूर के युवा सम्राट महारानी और उनकी मां महारानी वाणी विलास संनिधना ने एक नए महल का निर्माण करने के लिए ब्रिटिश वास्तुकार लॉर्ड हेनरी इरविन को सौंप दिया था।

लॉर्ड इरविन एक ब्रिटिश वास्तुकार थे जिन्होंने दक्षिण भारत में ज्यादातर इमारतों को रूपरेखा दिया था। 1912 में 42 लाख रुपये की लागत से महल का निर्माण पूरा हुआ।  इसका विस्तार 1940 में मैसूर साम्राज्य के अंतिम महाराजा जयचामाराजेंद्र वाडियार के शासन में किया गया था।

मैसूर महल टिकट दर

समय – सुबह 10 बजे से शाम 5 :30 तक।
टिकट –  ₹ 70 (भारतीय / विदेशी )

कहां ठहरें

एक ऐतिहासिक और मुख्य आकर्षण वाले शहर होने के नाते यह एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यहां आपके पास सस्ते हॉस्टल से लेकर पांच सितारा होटल का विकल्प मौजूद हैं। आप अपने सुविधानुसार आवास का चयन कर सकते हैं।

मैसूर महल कैसे पहुंचे?

रोड मार्ग द्वारा

मैसूर के कमपेगौड़ा बस स्टैंड से आसानी से मैसूर के लिए बस उपलब्ध है। आप प्राइवेट बसों का भी सहारा ले सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा –

मैसूर रेलवे स्टेशन सभी स्टेशनों से भली भांति जुड़ा हुआ है। बंगलौर के सभी रेलवे स्टेशन से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग द्वारा

मैसूर महल का सबसे निकटतम हवाई अड्डा बंगलौर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मैसूर से 170 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से आप कैब, बस या ट्रेन का सहारा ले सकते हैं।


समापन

और कुछ इस प्रकार हमारी मैसूर महल यात्रा समाप्त हुई। आपको कैसा लगा? कुछ अलग, अद्भुत महसूस हुआ? आपने बड़े ही सुकून से अपना सिर हिलाया और एक मुस्कुराहट दी। 

मैसूर महल, यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में भी शुमार है। साथ ही यह सात अजूबों में से एक ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा घूमा जाने वाला जगह है। वैसे अगर आप ताजमहल के आभासी यात्रा पर नहीं गए है, तो यहां क्लिक करें।

जल्दी ही मिलते है दोस्तों।

तब तक घर पर रहिए और सुरक्षित रहिए।


Abhishek Singh

मैं अभिषेक सिंह नवाबों के शहर लखनऊ से हूं। मैं एक कंटेंट राइटर के साथ-साथ डिजिटल मार्केटर भी हूं | मुझे खाना उतना ही पसंद है जितना मुझे यात्रा करना पसंद है। वर्तमान में, मैं अपने देश, भारत की विविध संस्कृति और विरासत की खोज कर रहा हूं। अपने खाली समय में, मैं नेटफ्लिक्स देखता हूं, किताबें पढ़ता हूं, कविताएं लिखता हूं, और खाना बनाता हूँ। मैं अपने यात्रा ब्लॉग मिसफिट वांडरर्स में अपने अनुभवों और सीखों को साझा करता हूं।

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