झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की भूमि पर क्या-क्या करें?

“मैं अपनी झांसी नहीं दूँगी”

झांसी की रानी, लक्ष्मी बाई

हर बार जब आप इन शब्दों को सुनते हैं, तो आप अपने अंदर एक ऊर्जा और उत्साह का प्रवाह महसूस करते हैं। इसे महारानी लक्ष्मी बाई ने कहा था जो हम जैसे लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। आज हम आपको उनकी भूमि – झांसी की एक छोटी यात्रा पर ले जाने जा रहे हैं।

गोवा में खूबसूरत समुद्र तटों और पुणे की रोमांचक जगहों को घूमने के बाद झांसी हमारा अगला पड़ाव था।

बिना किसी देरी के, आइए हम आपको झाँसी के वर्चुअल टूर पर ले चलते हैं। इस यात्रा गाइड में, हम आपको झाँसी में घूमने वाले स्थानों, स्थानीय पकवान, एक्टिविटीज, झाँसी कैसे जाएँ आदि के बारे में बताएंगे।



सूचना: इस पोस्ट में कुछ लिंक हो सकते हैं। जब आप उनके माध्यम से कुछ खरीदते हैं या कोई बुकिंग करते हैं तो हमें वित्तीय सहायता मिलती हैं। वे किसी भी तरह से हमारी राय या यहां प्रस्तुत जानकारी को प्रभावित नहीं करते हैं।

झांसी की रानी के शहर में घूमने की टॉप 4 जगहें

रानी लक्ष्मी बाई की प्रचंड वीरता औरसाहसिक कहानियाँ आपके दिल को गर्व से भर देती हैं। एक काम जो आप भारतीय होने के नाते कर सकते हैं, वह हैं उनकी सरजमीं पर जाकर उनकी जीवन गाथा को जीवन्त रूप से महसूस करना।

एक बार की बात है, भारत में सबसे शक्तिशाली राजा भी ब्रिटिश शासन के आगे झुक रहा था। उस समय महारानी लक्ष्मीबाई जी ने अकेले ही अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी।

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की भूमि पर आपका स्वागत है। यहाँ झांसी के दर्शनीय स्थलों की सूची है:

  1. झांसी का किला
  2. रानी महल
  3. सरकारी संग्रहालय
  4. सेंट जूड्स श्राइन

आइए इन्हें एक-एक करके देखें।

1. झांसी का किला

झाँसी में घूमने के स्थानों की सूची में यह किला टॉप # 1 होना चाहिए।

बुंदेल राजा बीर सिंह जूदेव द्वारा 1613 इस्वी में बंगरा नामक पहाड़ी पर इस किले का निर्माण सर्वप्रथम करवाया गया था। एक ऊंचाई पर होने के कारण यहां से आप पूरे शहर का दृश्य देख सकते हैं। परवर्ती काल में इस दुर्ग पर क्रमशः बुंदेलों, मुगलों, मराठों तथा अंग्रेजों का अधिकार रहा।

मराठा शासक नारुशंकर ने 1729-1730 में इस दुर्ग में कुछ परिवर्तन किए। सन् 1857 की क्रांति में अंग्रेजो से लड़ते लड़ते लक्ष्मीबाई जी ने अपनी जान गवां दी। तत्पश्चात् यह दुर्ग अंग्रेजी शासन के अधिकार में चला गया।

झाँसी किले का प्रवेश

यह किला 15 एकड़ में फैला है, जिसमें 22 बुर्ज एवं दो तरफ रक्षा – खाई है। नगर की दीवार में खंडेराव, दतिया, उन्नाव, ओरछा, बड़गांव, लक्ष्मीसागर , सैन्यार, भांडेर और झिरना नामक द्वार थे।

दुर्ग के भीतर  बारादरी, पंचमहल, शंकरगढ़, मेमोरियल सेमेंट्री, काल कोठरी, फांसी स्तंभ और रानी जी के नियमित पूजा अर्चना के केंद्र गणेश मंदिर एवं शिव मंदिर मराठा स्थापत्य कला के विशिष्ट नमूने हैं।

लक्ष्मीबाई के खास सहयोगियों गुलाम गौस खान, खुदाबख्श व मोती बाई की कब्रें, कड़क बिजली और भवानी शंकर नामक तोपें आदि भी विशेष रूप से दर्शनीय हैं। 

पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण केंद्र ” कूदान-स्थल ” है। लोगों के अनुसार युद्ध के दौरान यहां से घोड़े पर सवार रानी लक्ष्मीबाई अपने दत्तक पुत्र के साथ कूद कर किले से बाहर निकल गईं थीं।

जहाँ से महारानी कूदी थीं

किले में रोजाना निःशुल्क डॉक्यूमेंट्री का चित्रण होता है, जिसका विवरण निम्न है –

  • सुबह 8:30 – हिन्दी
  • सुबह 9:30 – अंग्रेजी
  • सुबह 11:30 – हिन्दी
  • दोपहर 1:30 – अंग्रेजी
  • शाम 3:30 – हिन्दी

प्रवेश टिकट दर (अक्टूबर 2019 में) भारतीयों के लिए 25 रुपये और विदेशियों के लिए 300 रुपये थी।

2. झांसी की रानी का निवास: रानी महल

झांसी के किले से 500 मीटर की दूरी पर रानी का महल स्थित है। आप आसानी से 10 मिनट की पैदल यात्रा करके भी जा सकते हैं। यह झाँसी की सबसे अच्छी घूमने वाली जगहों में से एक है।

रानी महल शहर के बीच में होने के कारण हर समय यहां आपको  हलचल देखने को मिलेगी। बाहर से देखने पर यह एक सामान्यतः दो मंजिला साधारण इमारत सा प्रतीत होता है, लेकिन अंदर की चीज़े और कलाकारी आपको अभीभूत कर देगी।

रानी महल अंदर से
रानी महल बाहर से

रानी महल का निर्माण रघुनाथ राय द्वितीय द्वारा करवाया गया था, जो बाद में रानी लक्ष्मीबाई के निवास स्थान के रूप में परिवर्तित हुआ।

यह एक दो मंजिला आयताकार इमारत है, जिसके मध्य में एक आंगन है, जहां एक लघु कूप और फव्वारे लगे है। अंदर कुछ छोटे कमरे, कुछ बड़े कमरे (हॉल) है। पूर्व दिशा की ओर ऊपर हॉल में जाने के लिए सीढ़ियां विद्यमान हैं। 

नीचे के कमरों में खुदाई में प्राप्त प्राचीन मनमोहक प्रतिमाएँ रखी गईं है। प्रतिमाएँ इतनी अनोखी है कि आप इनको निहारते ही रहेंगे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार ये प्रतिमाएँ क्रमशः ललितपुर, झांसी जिले के अंतर्गत मदनपुर, चाँदपुर और बरूआ सागर स्थल से प्राप्त की गईं हैं।

परिसर में राखी प्रतिमाएं

जैसे ही मैं सीढ़ियों के सहारे ऊपर हॉल में पहुंचा तो वहां की दीवारों और छतों पर मुझे कुछ रंगीन चित्रकारी दिखाई दी, जो देखने में अत्यंत सुंदर लग रही थी। 

3. राजकीय संग्रहालय

झांसी का किला और संग्रहालय के बीच की दूरी बस 450 मीटर है, जो पैदल या ऑटो रिक्सॉ से की जा सकती है। 

संग्रहालय में टेराकोटा, कांस्य, हथियार, मूर्तियां, पांडुलिपियां, चित्रकारी और सोने, चांदी और तांबे के सिक्कों का अच्छा संग्रह है।

युद्ध में लक्ष्मी बाई और झलकरी बाई
लक्ष्मी बाई का विवाह

अगर आप प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बारे में ज्यादा जानने की इच्छा रखते है तो यह संग्रहालय आपको तनिक नहीं निराश होने का मौका नहीं देगा। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान झांसी में हुई एक एक घटना का बख़ूबी चित्रण किया गया है। यह झांसी में इतिहास प्रेमियों के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है।

यह संग्रहालय झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को समर्पित है और इसलिए यह उनके जीवन की बहादुरी और वीर कहानियों, भारतीय विद्रोह और हमारे शहीदों द्वारा किए गए बलिदानों को दर्शाया गया है। 

नोट: हर सोमवार और प्रत्येक माह के के द्वितीय रविवार को छोड़ दे तो किसी भी दिन प्रातः 10 बजे से शाम के 4:30 तक आप इस संग्रहालय का भ्रमण कर सकते हैं।

4. सेंट जुड्स श्राइन

मुख्य शहर से यह चर्च मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है।

यह एक रोमन कैथोलिक चर्च है जो मुख्य रूप से कैथोलिक ईसाइयों के लिए है और झांसी में घूमने के लिए लोकप्रिय स्थानों में से एक है।

सेंट जूड श्राइन, सेंट जूड थाडस को समर्पित है और झांसी के रोमन कैथोलिक सूबा का अहम हिस्सा है। यह माना जाता है कि सेंट जूड की हड्डी इसकी नींव में दफन है। परिसर में चित्रित मूर्तियों में ईसा मसीह की महान कहानी को दर्शाया गया है। 

सेंट जूड श्राइन

सेंट जूड श्राइन, सेंट जूड थाडस को समर्पित है और झांसी के रोमन कैथोलिक सूबा का अहम हिस्सा है। यह माना जाता है कि सेंट जूड की हड्डी इसकी नींव में दफन है। परिसर में चित्रित मूर्तियों में ईसा मसीह की महान कहानी को दर्शाया गया है। 

सेंट जूड में  हर साल 28 अक्टूबर को एक बड़े मेले मनाई जाती है जो दूर-दूर से बड़ी संख्या में  को आकर्षित करती है। इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

झांसी में चखने वाले स्थानीय व्यंजन

झांसी बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है, तो आप यहां बुंदेलखंडी जायकों का बोलबाला देख सकते हैं। यह शहर अपने स्ट्रीट फूड के लिए मशहूर है। इसमें यहां के चाय, समोसे, चाट, पकोड़े, लस्सी आदि लोग चाव से खाते हैं। 

खाने की चीज़ेंकहाँ खा सकते है
चाय (बसंद यादव की चाय)सिप्री बाजार
दाऊ के कड़ी समोसेझांसी किले से कुछ दूरी पर
नारायण चाटसदर बाजार
श्रीनाथ के पाव भाजी और पुलावसदर बाजार
दिल्लीवाला चाट स्टोर (पानीपुरी और चाट)मानिक चौक
अन्य स्नैक्स और स्ट्रीट फूडसदर बाजार और सिप्री बाजार

इसके अलावा खाने के कुछ मुख्य जगहें जैनैक, शिल्पी होटल, सम्राट होटल, हवेली रेस्टोरेंट, नवभारत रेस्टोरेंट, आदि हैं।

झांसी में क्या करें?

1. झांसी महोत्सव का हिस्सा बनें

राज्य सरकार द्वारा आयोजित झांसी महोत्सव में हिस्सा लेना एक अलग ही अनुभव होगा। यह आयोजन हर साल फरवरी के महीने में होता है। इसमें बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत का बखान किया जाता है। साथ ही हैंडीक्राफ्ट और अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। 

2. सब्जियों और फूलों की प्रदर्शनी देखें

स्टेट गार्डन नारायण बाग में हर साल फरवरी के महीने में ही सब्जियों और फूलों की प्रदर्शनी लगती है। अलग अलग इलाकों से किसान यह आकर अपने फलों और सब्जियों को दर्शाते हैं। इस तीन दिन के आयोजन में आप वनस्पतियों और फल – फूलों के बारे में जान सकते हैं।

3. 1857 के विद्रोह की आभा महसूस करें

हम सबको पता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में झांसी का एक बड़ा योगदान रहा है। यूं ही नहीं हम महारानी लक्ष्मीबाई के शौर्य की गाथा सुनते आए हैं। राष्ट्रीय संग्रहालय और झांसी किले के अंदर आप 1857 की करती की यादों को ताज़ा कर सकते हैं।

4. स्थानीय जायकों और बाजारों में घूमें

झांसी का स्ट्रीट फूड और बाजारों की रौनक भी पर्यटकों के बहुत रास आती है। तो जब आप यहां हो तो स्ट्रीट फूड का जायका लेना ना भूलें। साथ ही प्रसिद्ध बाजारों में भी जरूर ही घूमें।

झांसी में क्या स्मृति चिन्ह खरीदें?

झांसी खाने के साथ साथ अपने रंगीन डिजाइन वाली चूड़ियां, हैंडीक्राफ्ट, ज्वैलरी, पीतल को बनी चीजें, कपड़े आदि खरीद सकते हैं।

नीचे हमने झांसी के स्थानीय मार्केट को सूचित किया है।

बाजार का नामक्या खरीद सकते हैं
सदर बाजारब्रांडेड आउटलेट्स से कपड़े
सिप्री बाजारचूड़ियां, हैंडीक्राफ्ट, ज्वैलरी, पीतल को बनी चीजें, कपड़े, जूते चप्पल आदि
मानिक चौकपॉट, ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि

पब्लिक टॉयलेट और स्वच्छता

हमने झांसी में एक पूरा दिन बिताया। हम बताते हुए खुशी हो रही है कि सभी सार्वजनिक जगहों और आकर्षणों के निकट पब्लिक टॉयलेट की व्यवस्था है। इसके साथ ही शहर की स्वच्छता भी हम रास आई। आपको यहां के लोगो के बोलने में बुंदेलखंडी झलक देखने को मिलती है।

यात्रा के साधन और आकर्षणों के बीच दूरी

झांसी में आपको एक आकर्षण से दूसरे आकर्षण तक पहुंचने के लिए ऑटो या बैटरी वाले रिक्शे आसानी से मिल जायेंगे। इसके अलावा सभी आकर्षण और घूमने वाली जगहें बहुत ज्यादा दूरी पर नही है। इसलिए आपको ज्यादा दिक्कत नही होगी।

आकर्षणों के बीच की दूरी जानने के लिए आप ये गूगल मैप देख सकते हैं।

झांसी कैसे पहुंचें?

रेल द्वारा

दिल्ली से चेन्नई रूट को जोड़ने वाले रेल मार्ग पर वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी एक अहम स्टेशन है। यहां के लिए देश के कोने कोने से ट्रेनें है। 

रोड द्वारा

दिल्ली, लखनऊ, खजुराहो और आगरा जैसे बड़े शहरों से रोज सरकारी और प्राइवेट बसों का संचालन होता है। 

हवाई मार्ग द्वारा

झांसी का खुद का कोई हवाई अड्डा नही है। निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर (103 किमी) और खजुराहो (175 किमी) है। दोनों ही हवाई अड्डे बड़े शहरों से जुड़े हुए हैं।

झांसी घूमने का सही समय

यदि आप सभी झाँसी घूमने की जगहों, स्थानीय भोजन, स्मृति चिन्हों आदि का भरपूर आनंद लेना चाहते हैं, तो अनुकूल महीने में आना एक अच्छा विचार होगा।

झांसी घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर और मार्च के बीच सर्दियों के दौरान होता है। इस समय मौसम सुहावना होता है।

गर्मी के दिनों में धूप बहुत तेज और असहनीय होती है। मानसून के दौरान बारिश के कारण सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाता है।

अगर झाँसी की यात्रा के लिए एक सटीक समय शायद फरवरी है क्योंकि इस महीने में झाँसी महोत्सव और अन्य उत्सवों का आयोजन होता है।

कितने दिन और बजट की जरूरत होगी?

झांसी में घूमने की कुछ गिनी चुनी जगहें है। बाकी आप बाजारों में आप कितना समय बिताते हो ये आप पर निर्भर करता है।

अगर आप इतिहास और संग्रहालय घूमने में रुचि रखते हैं तो आपको कम से कम 2 दिन अवश्य देना चाहिए: एक दिन आकर्षणों के लिए और दूसरा दिन स्थानीय अपकवान और बाजारों के लिए।

बाकी आप बस घूमने की जगहों का अवलोकन करना चाहते हैं तो एक दिन भी काफी है।

बजट भी इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह की यात्रा कर रहे है। वैसे एक सामान्य बजट ये हो सकता है।

  • एक दिन के लिए: ₹1500
  • दो दिन के लिए: ₹2500

झांसी में ठहरने के विकल्प

झांसी में हर तरह के यात्री के लिए विकल्प उपलब्ध है। अगर आप बजट यात्रा कर रहे है, तो सस्ते आवास चुन सकते हैं। वहीं लग्जरी यात्रियों के लिए बेहतर 3 सितारा होटल भी उपलब्ध है।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा संचालित राही वीरांगना टूरिस्ट बंगलो भी उपलब्ध है।

ट्रैवल टिप्स

  • आप सुबह जल्दी पहुंचते हैं तो झांसी को एक दिन में घूम सकते हैं। शहर का पूरा आनंद लेने के लिए दो दिन पर्याप्त है।
  • फरवरी में महीने में प्लान बने तो झांसी महोत्सव में शिरकत अवश्य करें। इसी महीने में सब्जियों और फूलों की प्रदर्शनी भी लगती है।
  • गर्मियों में आ रहे हैं तो हल्के कपड़े, टोपी और पानी की बोतल साथ लाएं। सर्दियों में हल्के ऊनी कपड़े अवश्य लाएं।
  • झांसी किला, रानी का महल और राष्ट्रीय संग्रहालय को पैदल भी कवर किया जा सकता है। सभी एक दूसरे से कुछ मीटर की दूरी पर ही स्थित हैं।
  • आप यहां से ओरछा भी जा सकते है, जो एक और खूबसूरत पर्यटन स्थल है। झांसी और ओरछा के बीच की दूरी 15 किमी है। जाने के लिए आपको बस और ऑटो मिल जाएगा।
  • झांसी रेलवे स्टेशन पर टूरिस्ट इन्फॉर्मेशन सेंटर है, जहां आप और भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सामान्य रूप से पूछे जाने वाले सवाल

झांसी में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?

झांसी में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें झांसी का किला, रानी महल, राष्ट्रीय संग्रहालय और सेंट जूड्स श्राइन हैं।

झाँसी मध्य प्रदेश में है या उत्तर प्रदेश में है?

झांसी उत्तर प्रदेश में स्थित है और इसकी सीमा मध्य प्रदेश से लगती है। यह दिल्ली से 478 किमी और लखनऊ से 314 किमी दूर है।

झांसी कैसे पहुंचे?

झांसी भारत के प्रमुख शहरों से रेल और सड़क नेटवर्क के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर (98 किमी) है जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन झांसी है।

झांसी से ओरछा कितनी दूर है?

झांसी और ओरछा के बीच की दूरी 17 किमी है।

क्या झांसी सोलो ट्रेवल के लिए सुरक्षित है?

हां, आप अकेले झांसी की यात्रा कर सकते हैं चाहे आप पुरुष हों, महिला हों। बस रात में बाहर जाने से बचें। नुम्बियो के अनुसार, 26.92 (कम) की अपराध दर के साथ, झांसी भारत के अन्य प्रमुख शहरों की तुलना में सुरक्षित है।

झांसी की रानी कौन हैं?

झांसी की रानी, ​​रानी लक्ष्मी बाई, भारतीय इतिहास की एक वीर महिला शख्सियत हैं जो अपने साहस और निडरता के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


कुछ अंतिम शब्द

हम आशा करते हैं कि आपको झाँसी की यात्रा करने वाली जगहों, स्थानीय भोजन, स्मृति चिन्हों, और वह सब कुछ जो आपको जानना आवश्यक है, उसके लिए यह अनुभवात्मक यात्रा मार्गदर्शिका पसंद आएगी। यदि आप इतिहास या वास्तुकला के शौकीन हैं, तो झाँसी का दौरा आपकी सूची में होना चाहिए।

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Abhishek Singh
Abhishek Singh

मैं अभिषेक सिंह नवाबों के शहर लखनऊ से हूं। मैं एक कंटेंट राइटर के साथ-साथ डिजिटल मार्केटर भी हूं | मुझे खाना उतना ही पसंद है जितना मुझे यात्रा करना पसंद है। वर्तमान में, मैं अपने देश, भारत की विविध संस्कृति और विरासत की खोज कर रहा हूं। अपने खाली समय में, मैं नेटफ्लिक्स देखता हूं, किताबें पढ़ता हूं, कविताएं लिखता हूं, और खाना बनाता हूँ। मैं अपने यात्रा ब्लॉग मिसफिट वांडरर्स में अपने अनुभवों और सीखों को साझा करता हूं।

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