दक्षिण भारत में पहली काउचसर्फिंग- घर से दूर एक घर

हम जब भी कहीं यात्रा करने की योजना बनाते है तो पहला ख्याल मस्तिष्क में मंहगे होटलों का आता है। सोचिए अगर आपको मुफ़्त में रहने को मिल जाए तो? ये तो आपके ट्रिप को और भी मजेदार बना देगा। आप सोच रहे होंगे कि क्या मजाक कर रहा है। मैं मजाक बिल्कुल नहीं कर रहा हूं। क्या आप काउचसर्फिंग से अवगत हैं?

दुनिया में एक ऐसी भी सेवा है जिसमें आप मुफ़्त में घर में रहने जैसा महसूस कर सकते है। ब्लॉग के अंत में मैं पूरी जानकारी संलग्न कर रहा हूं।

मैसूर के बाद हमें मदिकेरी जाना था, जहां हमने होमस्टे बुक किया था। चूंकि मैंने काउचसर्फिंग का भी आग्रह किया था, जहां से सकारात्मक जवाब मिला था। बहुत लंबे बातचीत के बाद हमने काउचसर्फिंग वाले स्थान पर रुकने का सोचा। 

मस्ती भरा सफ़र

मैसूर से सायं 5 बजे सफर शुरू हुआ। मैं अपने मित्र (शेखर) से एक लंबे वक़्त के बाद मिला था तो हमारी ढेर सारी बाते होने लगी, थोड़ी लड़ाई, थोड़ी मस्ती में आधा सफ़र कब कट गया, पता भी नहीं चला। मौसम थोड़ा खराब होने लगा था।

बारिश की बौछार ने हमारा अच्छा स्वागत किया। आपको बता दूं बरसात में दक्षिण भारत घूमना सबसे आनंदमय होता है। हर तरफ हरियाली आपके दिल की धड़कन को बढ़ने पर मजबूर कर देंगी। जैसे तैसे हम कुशालनगर पहुंचे। 

मैंने आकर्षण देवानंद ( जिनके वहां हमे रुकना था) को फोन किया। किसी कारणवश उनका फोन नहीं लगा। उन्होंने मुझे एक ऑटोरिक्शा वाले भाई का नंबर दिया था। फोन करने पर रिक्शा वाले तुरंत हाज़िर हो गए। हमे हुदुगुर गावं जाना था, जो वहां से 10 किमी दूर था। गूगल मानचित्र के सहारे हम जैसे तैसे पहुंच गए। 

जोरदार स्वागत

 आकर्षण ने गर्मजोशी के साथ हमारा स्वागत किया। वीकेंड होने के कारण उनके कुछ मित्र भी आए थे। उनमें से एक का जन्मदिन था। थोड़ा परिचय देने के बाद हम एक रूम में बैठ के बातचीत करने लगे। वहां मेरी मुलाकात लियोनी ( जो जर्मनी से आयी थी) से हुई। देख के चौक गया कि इतनी दूर से काउचसर्फिंग करने आ गई और मै हिचकिचा रहा था।

मध्यरात्रि का जश्न

 हसीन मौसम होने की वजह से हम सब लोग छत पर बैठे थे। सब लोग बारी बारी से अपनी जीवन के सफर और उद्देश्य बता रहे थे। जश्न के लिए कूर्ग की होममेड वाइन भी थी। बातों बातों में 12 बज गए। फिर क्या था, केक काटा गया और बर्थडे बॉय पर लात घुसो की बरसात हुई। रात्रिभोज करके जल्दी सोने को बढ़े। दिनभर घूमने और सफर से हमारा शरीर थक गया था। हमें अच्छी नींद की शख्त आवश्यकता थी।

सुबह का नज़ारा

 मेरी नींद सुबह जल्दी खुल गई। आकर्षण ने रात को बताया था कि उसके घर के ठीक सामने नदी है, जहां कुछ वक़्त बिताया जा सकता है। मैंने शेखर और तान्या को उठाने की कोशिश की। हमेशा की तरह शेखर नहीं उठा। मैं, तान्या और लियोनी नदी की ओर चल पड़े।

नदी के किनारे पहुंच कर मै तो जैसे मदहोश हो गया। इतनी शांत और सुंदर नदी अब तक नहीं देखी थी। लियोनी नहाने के मकसद से आयी थी तो उसने आते ही बिना विलंब किए नदी में छलांग मार दी। मैंने उस हसीन नज़ारे को कैमरे में कैद किया। मैं प्रकृति प्रेमी हूं। प्रकृतिप्रेमियो के लिए ऐसा दृश्य किसी जन्नत से कम नहीं होता। 

मैंने अपने दोनों पैर नदी में डाले और आंखें मूंदकर चट्टान पर लेट गया। पक्षियों की आवाज़ और शांत माहौल कानों में मीठी मिश्री की तरह प्रतीत हो रही थी।

मां के हाथों का प्यार

 वापस आने पर हमने पाया कि मां ( आकर्षण की मां) ने नाश्ता बना दिया था। गरम गरम पूडियां, आलू की सब्जी और कॉफी का सेवन किया। मैं भी उनको मां कह के बुलाने लगा।

आपको बता दूं कि पास में ही उनका एक होमस्टे है, जहां की देख रेख़ मां और संदीप करते है। पूरे घर के लिए खाना बनाना, फ़िर होमस्टे में रुके लोगों के लिए उनके हिसाब का खाना तैयार करना कितना कठिन होता होगा। इतना करने के बाद भी मां बिल्कुल नहीं थकती ना ही उनके व्यवहार में बदलाव आता था। 

घर के आस पास भ्रमण

  पूरे घर के अगल बगल प्राकृतिक सौंदर्यता की कमी नहीं थी। अच्छे खासे क्षेत्र में फैला छोटा बगीचा था जिसमें छोटे पौधों से लेकर लंबे नारियल के वृक्ष लगे थे। घर के पीछे छोटी गौशाला थी जहां कुछ गाएं थी। उसके बगल में कुछ मुर्गियां भी पाली गई थी। 

पर्यटन स्थलों की सैर

हम सब जल्दी तैयार हुए और निकल पड़े आस पास के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सैर पर। लियोनी भी हमारे साथ चल दी। उसको वहां से कोच्चि की बस पकड़नी थी। रिक्शा कर के कुछ घंटो में हमने वहां के कुछ जगहों का भ्रमण किया और शाम तक वापस आ गए। 

हमने कहां कहां घुमा ये आपको अगले ब्लॉग में बताऊंगा। इस ब्लॉग का मुख्य उद्देश्य लोगों को काउचसर्फिंग के बारे में बताना है।

हंसी खुशी बिदाई

आकर्षण के सभी मित्र शाम को वापस चले गए। उनके साथ एक अच्छा वक़्त बीता । गले मिलकर फिर मिलने की उम्मीद की। आकर्षण को भी उनके साथ जाना था। इतने अच्छे से मेहमाननवाजी के लिए मैंने उसका शुक्रिया अदा किया। उसने बोला की आपको पूरे कर्नाटक में कहीं भी दिक्कत का सामना करना पड़े, बेझिझक मुझे फोन करो। इसी के साथ उसने विदा ली।

सुबह सुबह प्रस्थान

 अगली सुबह जल्दी उठकर तैयार हुए क्यूंकि हमें उस दिन मदिकेरी घूमना था। मां ने नाश्ता परोसा। पेटभर नाश्ता करने के बाद हमने अपना बस्ता बांधा। मैं कुछ गुझिया ले गया था, जिसको मैंने मां को दिया। उनके और दादी मां के आशीर्वाद लिए । मां ने मुझे फिर से आने को बोला। वो बोली आकर्षण हो या ना हो, आप कभी भी आ जाना। इसी के साथ हम रवाना हुए।

काउचसर्फिंग –  क्या है, कैसे करें और कितना सुरक्षित है

यह एक एप है जिसको आप अपने फोन पर इंस्टॉल कर के कुछ सामान्य जानकारी देकर प्रयोग कर सकते है।  दुनिया भर के लोग इसपर है। सामान्य तौर पर कहे तो यह एक ऐसी सेवा है जो लोग निस्वार्थ भाव से करते है। यह पूर्णतया सुरक्षित है। आप जहां भी रुके है वहां उनकी कुछ कामों में मदद कर सकते है। उन्हें भी अच्छा लगेगा।

कुछ महत्वपूर्ण बातें –

  • आपको क्षेत्रीय संस्कृति जानने को मिलेगी।
  • घर से दूर होकर भी घर जैसी भावना महसूस होगी।
  • घर का बना स्वादिष्ट खाना मिलेगा। शायद लोकल खाना भी मिल जाए।
  • आपको क्षेत्रीय लोगो से कुछ ऐसी जगहों के बारे में पता चलेगा जो गूगल मानचित्र पर शायद ना हो।
  • आपको और भी यात्री मिल जाएंगे जिनसे आप अपनी कहानियां साझा कर सकते है।
  • आप उस जगह को एक ट्रैवलर के तौर से देख सकेंगे।
  • वहां के लोगों से बातचीत, उनकी जीवनशैली आदि के बारे में जान सकेंगे।

कुछ सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या काउचसर्फिंग भारत में सुरक्षित है?

बिल्कुल। यह पूर्णतया सुरक्षित है, मैं खुद कितने समय से करता आ रहा हूं। बस अपने हिसाब से सुरक्षा का ध्यान रखे। मुफ्त रुकने के बदले आप कुछ कामों में अपने होस्ट की मदद कर सकते हैं।

क्या यह रुकने का मुफ्त तरीका है?

हां जी। आपसे किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। बस आप मेहमाननवाजी के बदले घर के कामों में उनकी मदद कर दे।

क्या महिलाओं के लिए सुरक्षित है?

महिलाओं की सुरक्षा हमारे देश का एक मुख्य परेशानी है। कहीं कहीं आपको थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि दुनिया में हर तरह के मनुष्य है। अगर ऐसा कुछ होता है तो डटकर मुकाबला करें।

अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो आप मुझसे बेझिझक पूछ सकते है।

यह अपडेटेड ब्लॉग है।


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Abhishek Singh
Abhishek Singh

मैं अभिषेक सिंह नवाबों के शहर लखनऊ से हूं। मैं एक कंटेंट राइटर के साथ-साथ डिजिटल मार्केटर भी हूं | मुझे खाना उतना ही पसंद है जितना मुझे यात्रा करना पसंद है। वर्तमान में, मैं अपने देश, भारत की विविध संस्कृति और विरासत की खोज कर रहा हूं। अपने खाली समय में, मैं नेटफ्लिक्स देखता हूं, किताबें पढ़ता हूं, कविताएं लिखता हूं, और खाना बनाता हूँ। मैं अपने यात्रा ब्लॉग मिसफिट वांडरर्स में अपने अनुभवों और सीखों को साझा करता हूं।

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